मुरादाबाद: साल 2000 में बसपा में शामिल हुए थे डॉ. बर्क, 2009 के लोकसभा चुनाव में संभल से सांसद निर्वाचित

मुरादाबाद: साल 2000 में बसपा में शामिल हुए थे डॉ. बर्क, 2009 के लोकसभा चुनाव में संभल से सांसद निर्वाचित

मुरादाबाद, अमृत विचार। कौम-ओ-मिल्लत के पैरोकार, खांटी राजनीतिक डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क धुन के पक्के थे। सियासी सवालों पर बेलाग बोलने के लिए जाने जाते थे। डर की जिंदगी में कही ठौर नहीं रखा। जो कहना था, उसे मंच से कहा और पीछे नहीं हटे। देश की चर्चाओं में कई बार विवादों में भी आए लेकिन, जिस विषय को उठाया, उसे लेकर कोई अफसोस नहीं जताया।

राजनीति को अपने जीवन का हिस्सा बनाया। साल 1967 से संसदीय राजनीति में कूदे। पहली बार विधानसभा का चुनाव संभल विधानसभा क्षेत्र से लड़े और हार गए। तब संभल मुरादाबाद जिले का हिस्सा था। 1974 के चुनाव में विधायक बन गए। 10 बार विधान सभा चुनाव में तकदीर आजमाने वाले इस समाजवादी को चार बार विधानसभा में जाने का मौका मिला। लोक सभा चुनावों में छह बार कूदे और पांच बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 

साल 2014 का चुनाव सपा से लड़े मगर, भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष सत्यपाल सिंह सैनी से करीब पांच हजार मत के अंतर से हार गए। वर्ष 2019 के आम चुनाव में सपा-बसपा-रालोद के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और रिकार्ड मत से भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ जीत दर्ज कर ली। भीड़ को अपने साथ लेकर चलने वाले इस सियासी किरदार ने साल 2000 में सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। कुछ दिन रहने के बाद फिर समाजवादी पार्टी के साथ हो लिए। 

सपा से टिकट नहीं मिलने पर साल 2009 में बसपा के उम्मीदवार बन गए और लोकसभा के लिए चुन लिए गए। राजनीति को अपनी शर्तों पर तौलने वाले डा.बर्क 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी हो गए। बसपा के मंडलीय को-आर्डिनेटर डॉ. रणविजय सिंह का कहना है कि सांसद बर्क धुन के पक्के थे, जो कुछ कहा मंच से भी कहा।

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