हल्द्वानी: कुमाऊं के 6 जिलों के 630 से ज्यादा पशुपालकों को सालों से अब तक नहीं मिली बीमा राशि

हल्द्वानी: कुमाऊं के 6 जिलों के 630 से ज्यादा पशुपालकों को सालों से अब तक नहीं मिली बीमा राशि

हल्द्वानी, अमृत विचार। पशुपालक अपने पशुओं का बीमा इसलिए करते हैं, ताकि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें तत्काल पैसे मिल जाएं, जिससे वे नए पशु खरीद सकें लेकिन राज्य में पशु बीमा कर रही कंपनी ने सालों से सैकड़ों पशुपालकों को बीमे की रकम ही नहीं दी है। इससे किसान नाराज व परेशान हैं।

खोला बाजार, चोरगलिया के केशव भट्ट की अगस्त, 2022 में गाय मर गई लेकिन उन्होंने इसका बीमा करवाया था। उन्होंने सोचा की बीमे की रकम मिलने पर वह तुरंत नई गाय खरीद लेंगे लेकिन आज तक उन्हें यह रकम नहीं मिल पाई है। 
इसी तरह खोला बाजार, चोरगलिया की दीपा देवी की भी गाय नवंबर, 2022 में मर गई थी तो बीमा कंपनी के कर्मचारी उनके घर आए और उन्हें जल्द करीब 30 हजार रुपये मिलने की बात कह गए लेकिन आज तक उन्हें बीमे की राशि नहीं मिल पाई है। 

जिले में ऐसे दर्जनों पशुपालक हैं, जो सालों से बीमा कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां से उन्हें हर बार सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीमे का क्लेम न मिलने को लेकर पशुपालकों की लगातार शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने बताया कि कुमाऊं के 6 जिलों के 630 से ज्यादा पशुपालकों को सालों से अब तक बीमे की राशि नहीं मिल पाई है। कहा कि बकाया राशि में देरी होने पर कंपनी पशुपालकों को उसका ब्याज भी नहीं देती है। अधिकारियों ने कहा कि कंपनी से संबंधित शिकायतें पशुधन विकास बोर्ड (यूएलडीबी) को दे दी गई हैं, संभावना है कि जल्द दूसरी कंपनी के साथ अनुबंध किया जाएगा। 

जीवित काली रंग की, मृत सफेद हो गई
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी के अधिकारी बीमा दावों की संख्या ज्यादा होने से नुकसान की बात करते हैं लेकिन इस योजना में 30 प्रतिशत पशुपालन व 70 प्रतिशत का भुगतान सरकार करती है। इधर, कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि कई मामलों में फर्जीवाड़े की भी शिकायतें मिली हैं। उनका कहना है कि एक मामले में इंश्योरेंस के समय गाय का रंग काला था लेकिन मृत्यु के समय उसका रंग सफेद हो गया। 

पशुधन विकास बोर्ड ने बीमा कंपनी के साथ अनुबंध किया है लेकिन पशुपालकों की शिकायतें बढ़ने पर बोर्ड को इसकी सूचना दी गई है।  
डॉ. एसबी पांडे, निदेशक, पशुपालन विभाग