अहम प्रौद्योगिकियों में दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी का विस्तार चाहता है भारत : जयशंकर
सियोल। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत, दक्षिण कोरिया के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक समसामयिक बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर और हरित हाइड्रोजन जैसे नये क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करना चाहता है। जयशंकर ने अपने समकक्ष चो ताये-यूल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) की सह-अध्यक्षता के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और व्यापार के क्षेत्र में सहयोग पर व्यापक व सार्थक चर्चा हुई।
Co-chaired with @FMChoTae_yul a comprehensive and productive 10th 🇮🇳-🇰🇷 Joint Commission Meeting in Seoul today.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) March 6, 2024
Conversations covered our expanded bilateral ties, cooperation in the field of defence, science & technology, business & trade, people to people exchange and… pic.twitter.com/cwVjc9H51z
जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''आज (बुधवार को) सियोल में विदेश मंत्री चो ताये-यूल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की, जो व्यापक और सार्थक रही।'' उन्होंने कहा कि बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार, रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, व्यापार में सहयोग, दोनों देशों की जनता का आवागमन और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा हुई। जयशंकर ने कहा, ''द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विकास, क्षेत्र में चुनौतियों के प्रति हमारी सहमति और आपसी हितों के क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों को लेकर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ।''
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दक्षिण कोरिया के दौरे के वक्त द्विपक्षीय संबंध एक नयी ऊंचाई तक पहुंचे थे। विदेश मंत्री ने कहा, ''यह जरूरी है कि हम उसे बनाए रखें। बीते वर्षों में हम और मजबूत हुए हैं। हम वास्तव में एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण भागीदार बन गए हैं और हमारा द्विपक्षीय आदान-प्रदान, व्यापार, निवेश, रक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग में तेजी से वृद्धि हुई है और हमने सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों में गतिशीलता बनाए रखी है।''
उन्होंने कहा, ''अब हम अपने संबंधों को और अधिक समसामयिक बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग आदि नये क्षेत्रों में विस्तार करने में रुचि लेंगे।'' उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विचारों में बढ़ती समानता देखी है। उन्होंने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करना अहम है...।'' जयशंकर ने कहा कि उन्होंने बहुत आशावादी होकर और उम्मीद के साथ संयुक्त आयोग का रुख किया है।
उन्होंने कहा, ''मैं जानता हूं कि हमारे बीच अच्छा मित्रभाव है। हमारी चुनौती इसे व्यावहारिक परिणामों में तब्दील करना है।'' उन्होंने कहा, ''हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नयी दिल्ली में दो बार मिल चुके हैं। मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है।'' जयशंकर ने दिसंबर में विदेश मंत्री पद पर नियुक्ति के लिए चो को बधाई भी दी।
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