पति के मूल वेतन का 25% भरण-पोषण के रूप में देना उचित :हाई कोर्ट 

पति के मूल वेतन का 25% भरण-पोषण के रूप में देना उचित :हाई कोर्ट 

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि पति के मूल वेतन का 25 फीसदी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में दिया जाना उचित और न्याय संगत है। पत्नी को दी जाने वाली स्थायी गुजारा भत्ता राशि दोनों पक्षों की स्थिति और पति या पत्नी की भरण-पोषण देने की क्षमता के अनुरूप होनी चाहिए। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह (प्रथम) की एकल पीठ ने राखी उर्फ रेखा की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए परिवार न्यायालय, अमरोहा द्वारा 5 हजार रुपए के मासिक रखरखाव को 10 हजार रुपए करते हुए की। 

दरअसल याची ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश से असंतुष्ट होने पर हाईकोर्ट में गुजारा भत्ता बढ़ाने को लेकर याचिका दाखिल की। याची का दावा है कि उसके पति नौसेना में कार्यरत हैं और प्रतिमाह लगभग 40 हजार रुपए का मासिक वेतन अर्जित करते हैं, जबकि विपक्षी (पति) के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची बी.ए. पास है तथा ट्यूशन पढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रतिमाह कमाती है। उसने ब्यूटीशियन का कोर्स भी किया है, लेकिन इस तथ्य को विपक्षी के अधिवक्ता ने दस्तावेज के माध्यम से कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए। अतः याची को मिलने वाली अंतरिम गुजारे भत्ते की राशि में वृद्धि होनी चाहिए। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने याची की गुजारा भत्ता बढ़ाने की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया।

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