Exclusive News: GSVM मेडिकल कॉलेज करेगा शहर के पानी में बैक्टीरिया की जांच...अब KGMU नहीं भेजना पड़ेगा सैंपल
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में होगी ‘पानी के सेहत’ की जांच
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कानपुर, (विकास कुमार)। शहर के किस क्षेत्र में पानी गुणवक्ता खराब है और किस क्षेत्र में पानी पीने लायक है, इसका अब आसानी से पता चल सकेगा। जी हां, अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ पानी की भी सेहत बताएंगे। इसके लिए सीएमओ कार्यालय में एक पत्र देना होगा। अनुमति मिलने के बाद टीम क्षेत्र में जाकर पानी की जांच करेगी। जांच रिपोर्ट भी तीन दिन में मिल जाएगी।
शहर में कई ऐसे क्षेत्र है, जहां पर लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जिस वजह से उनको तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है। इनके शिकार बच्चे, युवा, महिला व बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग होते हैं। ऐसे में लोगों को दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक अच्छी पहल की है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में अब पानी की गुणवक्ता की भी जांच की जाएगी। इसकी तैयारी विभाग ने शुरू कर दी है।
अभी लखनऊ भेजे जाते है सैंपल
स्वास्थ्य विभाग डायरिया, कालरा, दस्त व हैजा फैलने वाले क्षेत्र के पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में देता है। यहां पानी की जांच की सुविधा नहीं होने से लखनऊ स्थित केजीएमयू भेजा जाता था। जहां से जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन सप्ताह तक लग जाते थे, लेकिन अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में ही यह जांच शुरू होने से स्वास्थ्य विभाग को तीन दिन में ही पानी की जांच रिपोर्ट मिल जाएगी।
एक परिवार नहीं, पूरा क्षेत्र होता बीमार
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रो.विकास मिश्रा ने बताया कि दूषित पानी की वजह से हैजा, डायरिया, कालरा, दस्त, हेपेटाइटिस ए, टाइफाइड और पोलियो जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है। यह बीमारियां गर्मी के मौसम में अधिक हावी होती हैं। पानी से होने वाली बीमारी एक परिवार को नहीं बल्कि पूरे इलाके को अपनी चपेट में लेती है। यह वायरल बीमारियों से अधिक खतरनाक होता है। इसलिए पानी की गुणवक्ता की समय पर जांच कराना जरूरी होता है।
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