नहीं ले पा रहे लाभ

नहीं ले पा रहे लाभ

पिछले कुछ दशकों से देश में नौकरियों की कमी की समस्या है। भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है जो कि अल्प-रोजगार और प्रच्छन्न बेरोज़गारी के लिए बदनाम है। 

भारत में 62 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या की आयु 15 से 59 वर्ष के बीच है तथा जनसंख्या की औसत आयु 30 वर्ष से कम है। इसका तात्पर्य यह है कि भारत जनसंख्या की आयु संरचना के आधार पर आर्थिक विकास की क्षमता का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ के चरण से गुजर रहा है। 

उधर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि भारत चीन या कोरिया की तरह जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा नहीं उठा रहा है। देश की तरक्की को लेकर हो रहे ‘प्रचार’ पर भरोसा कर भारत गलती कर रहा है। बहुत सारे भारतीय नवप्रवर्तक अब सिंगापुर या सिलिकॉन वैली का रुख कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां अंतिम बाजारों तक पहुंच बहुत आसान लगती है। इसके लिए मानव पूंजी में सुधार और उनके कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। 

जनसांख्यिकीय लाभांश किसी देश की जनसंख्या की संरचना में बदलाव के कारण होने वाली आर्थिक वृद्धि है, जो आमतौर पर प्रजनन और मृत्यु दर में गिरावट का परिणाम है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश पर एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश का अवसर वर्ष 2005-06 से वर्ष 2055-56 तक पांच दशकों के लिए उपलब्ध है। 

कोई भी जनसांख्यिकीय लाभांश इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन और अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में सही नीतियां लागू करती है या नहीं। इसके अलावा, किसी देश को मिलने वाले जनसांख्यिकीय लाभांश की मात्रा युवा वयस्कों की उत्पादकता के स्तर पर निर्भर करती है, जो बदले में, देश में स्कूली शिक्षा के स्तर, रोजगार प्रथाओं, समय और बच्चे पैदा करने की आवृत्ति के साथ-साथ आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करती है। 

जनसांख्यिकीय लाभांश बचत, श्रम आपूर्ति, मानव पूंजी और आर्थिक विकास के साथ पाया जा सकता है। भारत की अल्प-वित्त पोषित शिक्षा प्रणाली युवाओं को उभरते रोज़गार के अवसरों का लाभ उठाने हेतु आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए अपर्याप्त है। 

इसलिए ‘जनसंख्या विस्फोट’ की आशंका से अधिक यह महत्वपूर्ण है कि भारत युवा जनसंख्या की स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करे, क्योंकि भारत का कल्याण इसी पर निर्भर है।  युवा आबादी की रोज़गार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल विकास भारत की श्रम शक्ति को आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए सही कौशल के साथ सशक्त बनाने की आवश्यकता है। युवाओं के कल्याण की रक्षा करना आवश्यक है क्योंकि भारत का कल्याण उन्हीं पर टिका है।

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