लखीमपुर-खीरी: गर्मी ने नौनिहालों को किया बेहाल, उल्टी और दस्त से लेकर बुखार से हो रहे पीड़ित
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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। अप्रैल माह में ही सूरज आग उगल रहा है। ऐसे में लोग अभी से भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा नौनिहाल परेशान हैं। गर्मी के चलते मासूम बुखार से लेकर निमोनिया, उल्टी एवं दस्त की चपेट में आने लगे हैं। पीडि़त बच्चे इलाज के लिए जिला अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें से कई बच्चों को भर्ती करने तक की जरूरत पड़ रही है।
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरपी वर्मा ने बताया कि इस समय ओपीडी में रोजाना 25 से 30 बच्चे उल्टी, दस्त एवं बुखार से पीडि़त होकर आ रहे हैं। इमरजेसीं में भी प्रतिदिन कई ऐसे बच्चे आते हैं, जिन्हें भर्ती करने तक की जरूरत पड़ती है। इसिलए गर्मी में बच्चों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि तेज धूप और गर्म हवाओं की वजह से बच्चों में पानी की कमी हो रही है। इसी वजह से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।
चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती उल्टी, दस्त, बुखार पीड़ित नौनिहाल
आठ माह का वरून, 11 माह का अयान, 13 माह का कृष, डेढ़ वर्षीय शिव एवं रियांश, ढ़ाई वर्षीय अयांश, तीन वर्षीय निखिल एवं साक्षी और पांच वर्षीय अंश।
चिल्ड्रन वार्ड
कुल बेड- 20
भर्ती बच्चे- 14
उल्टी, दस्त व बुखार के बच्चे- नौ
धूप में न खेलने दें
बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है बच्चों को धूप में खेलने न दें, क्योंकि इससे उनमें पानी की कमी होगी और लू लगने का खतरा बढ़ेगा। इनसे बचाव के लिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं हो सके तो ओआरएस का घोल, नारियल पानी एवं जूस पिलाएं। डायरिया से बचाव के लिए बच्चों को बाजार में बिक रहे कटे एवं खुले फल आदि न खिलाएं।गर्मी के दिनों में बच्चे जब घर से बाहर निकले तो उन्हें पूरी तरह से शरीर ढ़कने वाले सूती कपड़े पहनाएं।
नवजात को हर दो घंटे पर कराएं स्तनपान
महिला अस्पताल के नवजात रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि इस समय तेज गर्मी के साथ तेज गर्म हवाओं का प्रकोप है। ऐसे में नवजात शिशु व बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत है, क्योंकि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम और पाचन तंत्र कमजोर होता है। इसलिए वह बढ़े हुए तापमान में अधिक बीमार पड़ते हैं। उल्टी, दस्त, बुखार, पेट दर्द से पीडि़त बच्चे ओपीडी में ज्यादा आ रहे हैं।
नवजात शिशु एवं छह माह से कम के शिशुओं को माताएं सिर्फ स्तनपान कराती रहें। वह भी हर दो घंटे पर। इससे बड़े बच्चों को तरल पेयपदार्थ, जिसमें नारियल पानी, छाछ, ताजा एवं हल्का सुपाच्य भोजन कराते रहें। दस्त आदि आने पर ओआरएस का घोल बनाकर पिलाना शुरू कर दें।
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