बदायूं: गंगा में किशोर का मिला शव...परिजन ने पहचानने से किया इनकार, लॉकेट पर नजर पड़ते ही उड़ गए होश

बदायूं: गंगा में किशोर का मिला शव...परिजन ने पहचानने से किया इनकार, लॉकेट पर नजर पड़ते ही उड़ गए होश

कछला, अमृत विचार: जिला कासगंज का एक परिवार गंगा सप्तमी को कछला स्थित भागीरथी घाट पर गंगा स्नान करने के लिए आया था। तीन बच्चियों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था जबकि उन्हें बचाते समय उनका भाई डूब गया था। गोताखोर, फ्लड पीएसी और एसडीआरएफ टीम ने गंगा में किशोर की तलाश की। डूबने के स्थान से तकरीबन दो किलोमीटर दूर एक शव मिला। 

टीम उसे बाहर निकाल लाई लेकिन लापता हुए किशोर के परिजनों ने उसे अपना बच्चा मानने से इंकार कर दिया। जिसके बाद टीम ने दोबारा से गंगा में किशोर की तलाश शुरू की, लेकिन कुछ समय के बाद परिजनों ने लॉकेट से किशोर की पहचान की। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। 

कासगंज जिले के मोहल्ला श्रीगणेश नगर निवासी धर्मेंद्र गंगा सप्तमी के अवसर पर मंगलवार को गंगा स्नान करने के लिए भागीरथी घाट पर आए थे। परिवार स्नान कर रहा था। इसी दौरान धर्मेंद्र की बेटी रिया, सिया और भाई की बेटी पायल गहरे पानी में चली गईं। धर्मेंद्र के बेटे पीयूष ने उन्हें डूबता देखा तो उन्हें बचाने की कोशिश की। घाट पर शोर मच गया। 

घाट पर मौजूद गोताखोर और नाविक गंगा में कूद गए। रिया, सिया और पायल को सकुशल बाहर निकाल लिया गया जबकि पीयूष गंगा में लापता हो गया। सूचना पर पुलिस पहुंची। और गोताखोर बुलाकर गंगा में किशोर की तलाश कराई। पता न चलने पर पुलिस ने फ्लड पीएसी और एसडीआरएफ टीम बुलाई। सभी ने मंगलवार देर शाम तक गंगा में किशोर की तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। 

परिजनों ने गंगा पुल पर हंगामा करके गोताखोरों पर आरोप लगाए थे। बुधवार सुबह चौकी इंचार्ज हरवीर सिंह ने एसडीआरएफ टीम के साथ किशोर को तलाशना शुरू किया। दोपहर लगभग 12 बजे डूबने की जगह से 12 किमी दूर कासगंज सीमा के गांव शहबाजपुर क्षेत्र में गंगा में एक शव मिला। टीम शव को बाहर निकाल लाई। शव काला पड़ गया था और फूला हुआ था। दुर्गंध भी आ रही थी। 

लापता हुए किशोर के परिजनों ने उसे पीयूष नहीं बताया। एसडीआरएफ फिर से गंगा में चली गई। कुछ देर के बाद परिजनों की नजर शव के गले में पड़े लॉकेट पर पड़ी तो पीयूष के रूप में शिनाख्त की। शव मिलने के बाद परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों ने बताया

यह भी पढ़ें- बदायूं: डंक मारने लगे मच्छर, रणनीति बनाने तक सीमित मलेरिया विभाग