प्रयागराज: गंभीर कदाचार और नैतिक मानकों के उल्लंघन मामले के आरोपी अधिकारी को तत्काल पद से हटाया

प्रयागराज: गंभीर कदाचार और नैतिक मानकों के उल्लंघन मामले के आरोपी अधिकारी को तत्काल पद से हटाया

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश उमेश कुमार सिरोही द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए दंड आदेश को बरकरार रखा। मामले में न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ के समक्ष सिरोही के खिलाफ आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच की गई। गंभीर कदाचार और नैतिक मानकों के उल्लंघन का हवाला देते हुए दिनांक 16.04.2021 को सिरोही को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से तत्काल हटा दिया गया। कानूनी कार्यवाही के दौरान सिरोही के खिलाफ लगाए गए आरोपों के जटिल विवरणों को उजागर किया गया, जिसमें न्याय कार्यवाही को प्रभावित करने के प्रयास और दहेज की मांग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। 

सिरोही के अधिवक्ताओं ने कोर्ट के समक्ष पूछताछ के प्रक्रियात्मक पहलुओं को चुनौती देते हुए पूछताछ के दौरान उचित प्रक्रिया का पालन करने और बचाव के लिए उचित अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याची ने खुद स्वीकार किया है कि उसने अपनी पत्नी के अधिवक्ता के मोबाइल से एसीजेएम को फोन कर उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाही। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि किसी न्यायिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा अनिवार्य आचार संहिता और आत्म संयम बनाए रखने की उम्मीद की जाती है जबकि याची द्वारा स्पष्ट और अपूरणीय रूप से इसका उल्लंघन किया गया है। अंत में कोर्ट ने 'शिशुपाल' की पौराणिक कहानी का उदाहरण देते हुए कहा कि जो घटना शिशुपाल के साथ घटी थी, वही याची के साथ भी घटित हो रही है अर्थात उसने एक ऐसा अपराध किया, जिसे बक्शा नहीं जा सकता है। 

कोर्ट ने आगे कहा कि एक बार खराब मछली की पहचान हो जाने के बाद उसे टैंक में नहीं रखा जा सकता है। दोबारा त्रुटि की कोई गुंजाइश नहीं दी जा सकती है, क्योंकि याची द्वारा न्यायिक अधिकारी के पद पर कार्यरत रहते हुए अन्य न्यायिक अधिकारियों को प्रभावित करने की संभावना हो सकती है। उपरोक्त के मद्देनजर याचिका को खारिज कर दिया गया।

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