काशीपुर: राजस्व पुलिस के अधिकतर मामलों में नहीं हो रही सजा

नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर का राजस्व पुलिस सजा प्रतिशत अत्यन्त कम

काशीपुर: राजस्व पुलिस के अधिकतर मामलों में नहीं हो रही सजा

काशीपुर, अमृत विचार। गत 21 मई को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजस्व पुलिस व्यवस्था एक साल में समाप्त करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश का महत्व अभियोजन विभाग के सजा-रिहाई के आंकड़े भी बयान करते हैं। कुमाऊं के 4 जनपदों के आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजस्व पुलिस वाले मुकदमों की सजा दर, रेगुलर पुलिस की अपेक्षा कम है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड सरकार द्वारा फौजदारी मुकदमों में सजा रिहाई सम्बन्धी सूचना लोक सूचना अधिकारी, अभियोजन निदेशालय उत्तराखंड से मांगी थी।

उनके द्वारा सूचना प्रार्थना पत्र जिलों के अभियोजन कार्यालयों को हस्तांतरित करने के बाद विभिन्न जिलों से संबंधित विवरण उपलब्ध कराया गया है। इसके अनुसार वर्ष 2023 में कुमाऊं के राजस्व व रेगुलर दोनों पुलिस व्यवस्था वाले 4 पर्वतीय जनपदों नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर में कुल 8702 मुकदमे न्यायालयों से निर्णीत हुए।

इसमें 7076 मामलों में सजा हुई तथा 756 मामलों में रिहाई हुई। सजा का प्रतिशत कुल निर्णीत मुकदमों का 81 प्रतिशत रहा। जबकि इसमें राजस्व पुलिस के निर्णीत 248 केसों में से केवल 23 में ही सजा हुई तथा सजा का प्रतिशत 9 रहा, जबकि नियमित पुलिस के 8454 मामलों में से 83 प्रतिशत यानी 7053 केसों में सजा हुई तथा 702 मामलों में रिहाई हुई।

 

वर्ष        जिला                 कुल केस           सजा               रिहाई

2023    नैनीताल             4229                3313             346

2023    अल्मोड़ा             1062                777              163

2023    पिथौरागढ़          2667                2432             111

2023    बागेश्वर             744                    554              136

नोट – आंकड़े सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा कुमाऊं के चार जिलों के फौजदारी न्यायालय से सूचना अधिकार के तहत लेकर उपलब्ध कराए है।