बरेली: मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा अनाथालय का मामला, जिम्मेदारों की फंस सकती है गर्दन

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Published By Vishal Singh
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मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत हाईकोर्ट तक लड़ेंगे लड़ाई

बरेली, अमृत विचार। जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय ने आर्य समाज अनाथालय की नियमावली के विरुद्ध उसमें रह रही लड़कियों को निकालकर उसे बंद करने के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर न्यायालय तक पैरवी करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि 140 साल पुराने अनाथालय को नियमविरुद्ध ढंग से बंद करने के पीछे प्रधान और पदाधिकारियों की मंशा साफ तौर पर ठीक नजर नहीं आती। इस मामले को वह मुख्यमंत्री तक ले जाएंगे। जरूरत पड़ेगी तो उच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर करेंगे।

आठ साल की बच्ची से छेड़खानी का आरोपी फिर बना आर्य प्रतिनिधि सभा का सरताज
आर्य प्रतिनिधि सभा ने रविवार को हुए चुनाव में आठ साल की बच्ची से छेड़खानी के आरोपी ओमकार आर्य को फिर अपना प्रधान चुन लिया। ओमकार आर्य को अक्टूबर 2023 में पुलिस ने छेड़खानी की धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा था। करीब 20 दिन बाद ही उसकी जमानत हो गई थी।

करीब 360 करोड़ की जमीन का स्वामित्व रखने वाले आर्य समाज अनाथालय को उसके बायलॉज के विरुद्ध बंद करने के फैसले पर चल रही सरगर्मियों के बीच माना जा रहा था कि आर्य प्रतिनिधि सभा गंभीर आरोपों से दागदार ओमकार आर्य को इस बार अपना प्रधान नहीं चुनेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रधान पद के लिए न सिर्फ ओमकार आर्य का नाम प्रस्तावित किया गया बल्कि उसका किसी ने विरोध तक नहीं किया। चुनाव अनाथालय में हुआ जिसमें सुरेंद्र पाल शास्त्री, द्विजेंद्रनाथ गुप्ता, रामनिवास आर्य और तरुणा आर्य को उप प्रधान, राजीव आर्य को मंत्री, लालमन, जवाहरलाल, प्रताप सिंह और विक्रम सिंह पवार को उपमंत्री और प्रेमपाल सिंह आर्य को कोषाध्यध चुना गया। कार्यकारिणी के 33 सदस्य भी निर्वाचित हुए।


उम्मीद की कोई किरण नहीं, लड़कियों का रो-रोकर बुरा हाल
एग्रीमेंट के मुताबिक अनाथालय में रह रहीं तीन लड़कियां 14 दिन बाद हो जाएंगी निराश्रित
बरेली, अमृत विचार : अनाथालय में बाकी बची तीन लड़कियों से प्रधान ओमकार आर्य ने जो एग्रीमेंट कराया है, उसके मुताबिक उन्हें 30 जून को अनाथालय छोड़ देना होगा। इसके बाद उन्हें अपने भरण-पोषण, रहने और सुरक्षा का इंतजाम खुद करना होगा। सन् 2002 से यहां रह रही ये तीनों लड़कियां अनाथ हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि 14 दिन बाद वे कहां रहेंगी और कैसे पेट भरेंगी। उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा। रो-रोकर उनका बुरा हाल है।

तीनों लड़कियों की उम्र 22 से 24 साल है। दो एमए की पढ़ाई कर रही थीं लेकिन प्रधान ने फीस देने से मना कर दिया तो उन्हें दूसरे सेमेस्टर में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लड़कियों के मुताबिक उनके पास जब तक कुछ पैसे थे, तब तक फीस भरी, फिर बैठ गईं। बीएड कर रही तीसरी लड़की की फीस भी प्रधान ने बमुश्किल दी। एक लड़की की शादी अगले महीने होनी है, लेकिन प्रधान ने उसकी शादी कराने से भी इन्कार कर दिया है।लड़कियों का कहना है कि उन पर फरवरी में ही अनाथालय छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। बाद में दबाव डालकर एग्रीमेंट करा ही लिया गया।

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