यात्रा संचालन के लिए

यात्रा संचालन के लिए

उत्तराखंड में चल रही चार धाम यात्रा के लिए इस बार रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यात्रा के लिए 22 मई तक 31 लाख पंजीकरण हुए। परंतु भीड़ प्रबंधन को लेकर जो तैयारी होनी चाहिए थी, वह समुचित रूप से नहीं की गई। श्रद्धालुओं के सैलाब से प्रशासनिक व्यवस्थाएं चरमराई हैं। यह चिंताजनक और डराने वाली हैं। 

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां आए तीर्थयात्रियों में से 52 श्रद्धालुओं की विभिन्न कारणों से मृत्यु हो चुकी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री,  सचिव और गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक गंगोत्री में तीन, यमुनोत्री में 12, बदरीनाथ में 14 और केदारनाथ में 23 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है। उनकी मृत्यु का कारण हृदयाघात बताया गया है। 

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने यात्रा की जानकारी लेने के लिए उत्तराखंड की मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों के साथ  बैठक की। भीड़ नियंत्रण को लेकर अब उत्तराखंड सरकार केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद लेगी। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निगरानी समिति का गठन कर अधिकारियों को यात्रा मार्गों में तैनात रहने के निर्देश दिए। 

उन्होंने कहा कि मंदिरों में श्रद्धालुओं को दर्शन का समान समय मिले तथा रजिस्ट्रेशन एवं दर्शन में वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता देने के साथ ही ऋषिकेश, हरिद्वार एवं अन्य ठहराव वाले स्थानों से केदारनाथ, बद्रीनाथ जा रहे वाहनों को अलग-अलग समय में छोड़ा जाए। यानि श्रद्धालुओं की मौत के बात अब शासन-प्रशासन जागा है। 

केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। चार धाम यात्रा के दौरान स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं की वजह से परेशानियां झेलने को मजबूर होना पड़े तो उसमें प्रशासन की नाकामी ही झलकती है। राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले तीर्थाटन को सुनियोजित ढंग से संचालित कराने की जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशीलता से काम लिया जाना चाहिए। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित किया जाना चाहिए। 

क्षमता से अधिक लोग वहां पहुंच रहे हैं, तो इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। यात्रा मार्गों को समय पर दुरुस्त नहीं करना भी प्रशासन की बड़ी नाकामी है। मानसून के दौरान भी चार धाम यात्रा का संचालन सुचारू रूप से हो इसके लिए समय रहते पूरी तैयारी की जानी चाहिए। लोग निजी वाहन लेकर इन तीर्थ स्थलों पर पहुंच रहे हैं। इस कारण वाहनों की लंबी कतारें परेशानी का कारण बन रही हैं। यात्रियों व वाहनों की संख्या का संतुलन बनाए रखने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाया जाना चाहिए। 

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