रामनगर: झूला और तेजपात घास पर लगी रायल्टी वापस ली जाए

व्यापार मंडल ने की मांग, उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री व वन मंत्री को भेजा ज्ञाप

रामनगर: झूला और तेजपात घास पर लगी रायल्टी वापस ली जाए

रामनगर ,अमृत विचार।  उत्तराखंड में झूला (छड़ीला), तेजपात व मौस घास पर लगाई गई 40 प्रतिशत रॉयल्टी वापस लिए जाने की मांग व्यापार मंडल ने की है। उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री व वन मंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड प्रमुख वन संरक्षक द्वारा विभागीय स्तर पर, बगैर शासन की संस्तुति के झूला (छड़ीला) मौस घास व तेजपत्ता आदि वस्तुओं पर रॉयल्टी की दरें अचानक बढ़ाकर उसके विक्रय मूल्य पर 40% लगा दी गई है।

जिस कारण झूला (छड़ीला) तेजपात व मौस घास आदि के संग्रहकर्ता, उत्पादक, किसान, व्यापारी व मजदूर आबादी के सामने रोजगार का भारी संकट पैदा हो गया है। उनके उत्पाद का उन्हें बेहद कम मूल्य प्राप्त हो रहा है व 4-5 रुपये प्रति किग्रा के मुकाबले 70-80 रुपये प्रति किग्रा की दर से रॉयलटी चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिस कारण लोग पहाड़ से पलायन करने को मजबूर हैं।

देव भूमि व्यापार मंडल के अध्यक्ष मनिंदर सिंह ने कहा कि देश में मोरक्को, चीन, नाइजीरिया, नेपाल व यूरोप के मुल्कों से भी झूला छड़ीला, तेजपात आदि भारी मात्रा में आयात किया जा रहा है जो कि बाजारों में 200 रुपये प्रति किग्रा की दर पर उपलब्ध है। ऐसे में रायलटी लगाए जाने के चलते महंगे हो गए हैं व बाजारों में विदेशी माल के आगे नहीं टिक पा रहे हैं।

ऐसे में प्रमुख वन संरक्षक के 20 गुना रायलटी बढ़ाने के इस गैर कानूनी आदेश से उत्तराखंड में बेरोजगारी व पलायन बढ़ेगा। व्यापार मंडल के संरक्षक मनमोहन अग्रवाल ने प्रमुख वन संरक्षक द्वारा  40 प्रतिशत रॉयल्टी की दरों को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। इस दौरान हरमिंदर सिंह संटी, देवेन्द्र सेठी, मुनीष कुमार, मौ ताहिर, सौरभ अग्रवाल मौजूद रहे।