Kanpur: डिजिटल रेडियोग्राफी से एक्सरे अब चंद मिनट में, बारीक से बारीक फ्रैक्चर व बीमारी आएगी पकड़ में

Kanpur: डिजिटल रेडियोग्राफी से एक्सरे अब चंद मिनट में, बारीक से बारीक फ्रैक्चर व बीमारी आएगी पकड़ में

कानपुर, अमृत विचार। हैलट अस्पताल में मरीजों को अब एक्सरे कराकर उसकी फिल्म लेने में एक से डेढ़ घंटे तक परेशान नहीं होना पड़ेगा। हैलट में पहली बार डिजिटल रेडियोग्राफी (डीआर मशीन) सिस्टम की मदद से मरीजों को एक्सरे की सुविधा की गई है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस डीआर मशीन में बारीक से बारीक फ्रैक्चर व बीमारी पकड़ में आ सकती है। 

हैलट अस्पताल में मैनुअल एक्सरे होने पर मरीज को पहले एक्सरे कराने और उसके बाद एक्सरे फिल्म लेने में करीब एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता था। इस वजह से हैलट में दिन में करीब 40 से 50 एक्सरे हो पाते थे और कुछ मरीजों को फिर अगले दिन बुलाया जाता था। 

इस समस्या को हल कराने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला और हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह ने डिजिटल रेडियोग्राफी सिस्टम की मांग प्रदेश के उच्चाधिकारियों से की थी। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने हैलट में डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन की व्यवस्था की। 

तीन मशीन आ चुकीं, एक और है आनी 

रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अशोक वर्मा ने बताया कि शासन स्तर से तीन मशीनें विभाग को मिली हैं। दो मशीन रेडियोलॉजी विभाग और एक मशीन वार्ड नंबर एक में स्थापित की गई है। एक और डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन आनी है। डीआर मशीन का लाभ ये है कि मरीज की फोटो सिस्टम में आ जाएगी, उसके बाद पूरे शरीर या प्रभावित हिस्से का एक्सरे बटन दबाते ही हो जाएगा। एक्सरे फिल्म भी चंद मिनट में मिल जाएगी। 

मशीन में एक दिन में 250 एक्सरे की सुविधा 

हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह ने बताया कि डिजिटल मशीन की मदद से एक दिन में 250 एक्सरे किए जा सकते हैं। इस मशीन में बारीक समस्या भी स्पष्ट रूप से नजर आ सकती है। मरीज चाहे तो संबंधित रिपोर्ट अपने व्हाट्सएप, पैनड्राइव या सीडी कैसेट में भी प्राप्त कर सकता है। संबंधित विभाग के डॉक्टर ऑनलाइन रिपोर्ट चेककर मरीज का इलाज भी शुरू कर सकते हैं। 

अभी तक ये था पूरा प्रोसेस

डॉ.अशोक वर्मा ने बताया कि एक मरीज का मैनुअल एक्सरे करने में करीब 10 से 15 मिनट लगते थे। फिल्म निकालकर डॉर्क रूम में ले जाया जाता था। फिर उसके सूखने का इंतजार किया जाता था। तब जाकर मरीज या उनके तीमारदार को एक्सरे फिल्म मिलती थी। मैनुअल एक्सरे में कई बार स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं आने पर दोबारा एक्सरे की भी जरूरत पड़ जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मरीज जैसे ही डीआर मशीन के पास जाएगा, उसकी फोटो कंप्यूटर में आएगी। बटन दबाते ही एक्सरे हो जाएगा।

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