अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की गवाह रही ऐतिहासिक अल्मोड़ा जेल

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रमेश जड़ौत, अल्मोड़ा, अमृत विचार। अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जिला जेल आजादी के संघर्षों की गवाह रही है। यहां की जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बंद रहे। पंडित नेहरू दो बार इस जेल में लाए गये और अंतिम बार 15 जून 1945 को अल्मोड़ा जेल से ही रिहा हुए।

देश को आजाद कराने में हजारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने जीवन की आहूति दी। अल्मोड़ा जेल भी आजादी के इतिहास से जुड़ी हुई है। यह जेल 1942 में देश की आजादी को लेकर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की गवाह रही है। आजादी के बाद से हर साल यहां नौ अगस्त को ऐतिहासिक जेल स्थित नेहरू वार्ड में अगस्त क्रांति दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय धरोहर के रूप में रखे है नेहरू के सामान
अल्मोड़ा जेल में बंद होने के दौरान पंडित नेहरू ने अपनी आत्मकथा के कई पृष्ठ लिखे। जिस कक्ष में उन्हें रखा गया उसे अब नेहरू वार्ड कहा जाता है। कक्ष में पुस्तकालय भी था, इस भवन में बर्तन, दीपदान, कुर्सी आज भी वैसे ही संरक्षित कर रखी गई है।

अल्मोड़ा जेल में 476 आंदोलनकारी रहे बंद
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अल्मोड़ा के ऐतिहासिक जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, अब्दुल गफ्फार खान, हर गोविंद पंत, पंडित विक्टर मोहन जोशी, बद्रीदत्त पांडे, पंडित हर गोविंद पंत, सुश्री सरला बहन, आचार्य नरेंद्र देव, चंद्र सिंह गढ़वाली, कामरेड चंद जोशी, गोविंद चरणकर, मोहन लाल साह, दुर्गा सिंह रावत समेत 476 स्वतंत्रता आंदोलनकारी बंद रहे।

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