जन्माष्टमी पर विशेष: अंग्रेजों से नीलामी में जमीन खरीदकर कर दी थी भगवान के नाम
200 साल से हो रही जन्माष्टमी, श्रीकृष्ण भगवान के जन्मोत्सव पर होता है नृत्य
शानू खान, बावन/हरदोई, अमृत विचार। बावन में हर साल बड़े धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है। यहां बहुत से कार्यक्रम होते है। इमामबाड़े के पास स्थिति श्री राधा कृष्ण ठाकुर जी महाराज के मंदिर में जन्मोत्सव पर रासलीला के साथ साथ नृत्य भी होता है जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है। यहां लगभग 200 साल पहले से जन्माष्टमी मनाई जाती है। सभी धर्मों के लोग यहां पर आकर पूजा अर्चना करते है।
इस मंदिर के बारे में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्वर्गीय उमेश चन्द्र शुक्ला जी बताया करते थे कि उनके पिता जी स्वर्गीय विष्णु नरायन शुक्ला और उनके भाई लक्ष्मीनरायन शुक्ला अपने पिता भूप नरायन शुक्ला के साथ यहां रहते थे यहां पर खेड़ा था जब खेड़े की खुदाई हुई तो उसमे मूर्तियां और घड़े निकले थे। यही देखकर भूपनरायन शुक्ला ने मंदिर बनवाकर जन्माष्टमी शुरू करवाई। उसके बाद मंदिर और जन्माष्ठमी की जिम्मेदारी अपने दोनो बेटों को सौप दी। विष्णु नरायन शुक्ला रेलवे में स्टेशन मास्टर थे।
सन्न 1918 में शारदा नहर बावन से निकाली गई थी नहर का पुल बनाने के लिए पड़ोस में भट्टा लगाया गया था। उसी भट्टे की 16 बीघा जमीन सन्न 1920 में नीलाम की गई। विष्णु नरायन शुक्ला और उनके भाई लक्ष्मी नारायण शुक्ला ने यह जमीन 427 रुपये की नीलामी में ले ली थी। उनकी सोच यह थी कि इस जमीन पर खेती होगी और बाग लगवा देंगे इससे जो भी आमदनी होगी उससे प्रत्येक साल जन्माष्टमी हो जाया करेगी किसी पर बोझ भी नही पड़ेगा। इसलिए उन्होंने यह जमीन भगवान श्रीकृष्ण के नाम कर दी थी। जैसा उन्होंने सोचा था वैसा ही हुआ।
इस जमीन में बाग लगाया गया और उसकी आमदनी से आज तक जन्माष्टमी होती आई है। अब वो जमीन बावन की बेश कीमती जमीनों में शुमार रखती है। इस जमीन की देखरेख के लिए संरक्षण के तौर पर ब्रजमोहन शुक्ला, दिनेश चंद्र शुक्ला, प्रेम नरायन शुक्ला, ब्रजेश शुक्ला , जय नरायन शुक्ला, शिवेंद्र शुक्ला व उनके भाई कार्य कर रहे है। गांव के बुजुर्ग बताते है कि भगवान श्रीकृष्ण को ब्रजवासियों के साथ रासलीला बहुत पसंद थी इसलिए उनके जन्मोत्सव पर यहां रासलीला और नृत्य होता है।
चोर नही ले जा पाए थे मूर्ती
स्वर्गीय उमेश चन्द्र शुक्ला बताया करते थे कि मंदिर में अस्ट्रधातु की राधा कृष्ण की मूर्ती रखी है। यह मूर्तिया काफी पुरानी है। इस मंदिर में कभी ताला नही पड़ता है। एक बार लगभग आज से 35 साल पहले इसी मन्दिर में एक चोर घुसा। कृष्ण जी की मूर्ती वजनदार थी और राधा जी की मूर्ती का वजन कम था वो चोर राधा जी की मूर्ती लेकर बाहर भागा। बाहर जाते ही राधा जी की मूर्ती बहुत अधिक वजनदार हो गयी। उसमे इतनावजन हो गया जो उससे ले जाई नही जा रही थी। फिर उसने वो मूर्ती मन्दिर के बाहर रख दी और भाग गया। सुबह हुई तब इस बात का पता चल सका।
धूमधाम से निकलता है दधि का जुलूस
समाजसेवी ब्रजनंदन शुक्ला और एडवोकेट शिवेंद्र शुक्ला ने बताया कि 25 तारीख से रामायण शुरू हो गई है। 26 को जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। 27 तारीख को रासलीला और नृत्य होगा और 28 को दधि का जुलूस निकलेगा। जो कि पूरे कस्बे के मंदिरों में जायेगा। इसमे काफी भीड़भाड़ रहेगी। पुलिस प्रशासन भी मौजूद रहेगा
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