शाहजहांपुर: आखिर क्यों डॉक्टर त्यागपत्र देकर छोड़ रहे नौकरी? ये वजह आई सामने
सीएचसी, पीएचसी पर 184 डॉक्टर में 70 तैनात
शाहजहांपुर, अमृत विचार। सरकार की मंशा है कि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों की संख्या बढ़ने के वजाए कम होती जा रही है। डॉक्टरों की संख्या कम होने का कारण सात दिन ड्यूटी के अलावा वीआईपी ड्यूटी करनी पड़ती है। डॉक्टरों की मरीजों के तीमारदार से आए दिन नोकझोंक को लेकर टेंशन में भी रहते है। इस साल 19 संविदा डॉक्टर आए थे और दस डॉक्टर नौकरी से इस्तीफा देकर चले गए।
जिले में 39 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 15 सामुदायकि स्वास्थ्य केंद्र है। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमानुसार 184 डॉक्टर की तैनाती होनी चाहिए। वर्तमान समय 70 डॉक्टर है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण मरीज सरकारी अस्पताल के वजाए प्राइवेट अस्पताल में जाते है। डॉक्टरों की संख्या बढ़ने के वजाए दिन पर दिन घटती जा रही है। डॉक्टरों की कमी होने का कारण काम का बोझ अधिक होता है। डॉक्टर सात दिन तक लगातार ड्यूटी करते है और इमरजेंसी में कभी-कभी लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है।
इसके अलावा डॉक्टरों को वीआईपी ड्यूटी, स्वास्थ्य शिविर, पोस्टमार्टम ड्यूटी आदि में भी ड्यूटी करनी पड़ती है। सामुदायिक अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण डॉक्टरों को जरा सी फुसर्त नहीं मिलती है थोड़ा सा आराम कर ले। डॉक्टरों को सुबह आठ बजे से दो बजे तक बराबर मरीज देखते रहते है। डॉक्टरों की आए दिन मरीज के तीमारदारों से नोकझोंक हुआ करती है। पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर व स्टाफ न होने के कारण डॉक्टरों पर काम का बोझ अधिक होने के कारण नौकरी रास नहीं आ रही है। इस साल लखनऊ मुख्यालय से 19 संविदा के डॉक्टर मिले थे। दस डॉक्टरों ने नौकरी छोड़कर त्यागपत्र दे दिया। कुल मिलाकर सीएचसी व पीएचसी क्षमता के अनुसार डक्टर व स्टाफ नहीं है।
नाक, कान, नेत्र रोग के डॉक्टर नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। नाक, कान, गला और नेत्र रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। इस तरह के मरीजों को मेडिकल कॉलेज की दौड़ लगानी पड़ती है। पुवायां सीएचसी पर एक बाल रोग विशेषज्ञ है। एक महिला रोग विशेषज्ञ है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को लेकर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टर मानसिक तनाव में रहते
डॉक्टर ड्यूटी के समय मानसिक तनाव में रहते है। डॉक्टरों के कक्ष के बाहर मरीजों की भीड़ रहती है। डॉक्टर आठ बजें से दोपहर दो बजे तक लगातार ड्यूटी करने से तनाव में हो जाते है। सबसे खास बात है कि आए दिन डॉक्टरों की मरीज के तीमारदारों से कहासुनी होती है। कभी-कभी तीमारदार झगड़ा करने पर उतारु हो जाते है। इससे और डॉक्टर तनाव में आ जाते है।
इस साल 19 संविदा डॉक्टरों की नियुक्ति हुई थी, जिसमें 10 डॉक्टरों ने त्यागपत्र देकर नौकरी छोड़ दी है। डॉक्टर और स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए मुख्यालय से डिमांड की गई है-डॉ. आरके गौतम, सीएमओ