रामनगर: वन ग्रामों से बेदखली के नोटिस को तत्काल वापस ले सरकार
रामनगर, अमृत विचार। वन ग्राम पूछड़ी, कालूसिद्ध क्षेत्र से बेदखली के नोटिस वापस लेने के अलावा राजस्व, वन, सिंचाई विभाग द्वारा जनता के आवासों को तोड़ने से रोकने के लिए 9 सितम्बर को विधायक आवास पर धरना-प्रदर्शन करने को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों व विभिन्न संगठनों की बैठक संपन्न हुई। तय हुआ कि धरना- प्रदर्शन के साथ ही विधायक को ज्ञापन भी दिया जाएगा।
बैठक में संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2002 में लाया गया वन अधिनियम 1927, संशोधन उत्तरांचल 2002 को संविधान एवं न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए इसे रद करने की मांग की। समिति ने कहा कि इस क्रूर कानून के तहत जो वनाधिकारी ग्रामीणों को 61 ए के तहत बेदखली का नोटिस दे रहे हैं, वही अधिकारी इस नोटिस पर न्यायालय के रूप में सुनवाई भी कर रहे हैं।
नोटिस देने वाले वनाधिकारी न्यायालय के रूप में सुनवाई करने पर अपने खिलाफ फैसला कैसे दे सकते हैं। यही कारण है कि तराई पश्चिमी के वनाधिकारी वन भूमि पर बसे सभी लोगों को बेदखली के आदेश पारित कर रहे हैं। अतः उत्तराखंड में विशेष तौर पर बनाए गए वन अधिनियम 1927 संशोधन उत्तरांचल 2002 को सरकार तत्काल रद करें और वन अपराध से संबंधित अपराधों की सुनवाई अन्य राज्यों व वर्ष 2002 से पूर्व की भांति सिविल न्यायालयों में की जानी सुनिश्चित करें।
समिति ने कहा कि उत्तराखंड में सरकार सड़क चौड़ी करने, आल वेदर रोड बनाने, जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर व वन भूमि पर बसे लाखों लोगों को उनके घरों व कारोबार से बेदखल कर रही है। विकास के नाम पर जनता का विनाश किया जा रहा है। पूछड़ी के बाद हल्द्वानी बागझाला में भी लोगों को वन विभाग द्वारा नोटिस दिये जा रहे हैं।
अतः सभी को एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है। बैठक में उपपा नेता प्रभात ध्यानी, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, पछास के रवि, आइसा के सुमित, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंबाल, महिला एकता मंच की सरस्वती, कौशल्या, ठेका मजदूर कल्याण समिति के किशन शर्मा, सीमा, दुर्गा, कला, ज्योति, जुबेर, गणेश, शबीना, सीमा समेत बड़ी संख्या लोग मौजूद रहे।