कश्मीर में मारे गए आतंकी से जुड़े थे कमरुज्जमा के तार, आतंकी बनने से पहले नवरात्रि में मनाता था त्योहार: लखनऊ की NIA कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा उर्फ कमरुद्दीन उर्फ डॉ हुरैरा के तार कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्लाह मीर उर्फ हैदर से भी जुड़े थे। कमरुज्जमा ने गिरफ्तारी के दौरान उसका नाम भी लिया था। अब कमरुज्जमा की आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई है। 

एटीएस की जांच के बाद एनआईए ने भी मामला दर्ज किया था और कमरुज्जमा व उसके दो साथियों असोम के होजाई निवासी सईदुल हुसैन उर्फ इब्राहिम जमां और कश्मीर के किश्तवाड़ निवासी ओसामा बिन जावेद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में सुरक्षा बलों ने ओसामा को मुठभेड़ में मार गिराया था। 

सूत्र बताते हैं, कि कमरुज्जमा और सईदुल हुसैन के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद जून 2017 से मार्च 2018 तक हथियार चलाने की ट्रेनिंग तत्कालीन हिजबुल कमांडर हजारी उर्फ रियाज नायकू, मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर और सैफुल्लाह मीर ने ही दी थी। 

जांच में पता चला था कि कमरुज्जमा संगठन के बाकी आतंकियों से बातचीत करने के लिए ब्लैकबेरी मैसेंजर एप का सहारा लेता था। अगस्त 2017 में कानपुर आने के बाद रेकी करने के लिए उसने चकेरी में खुद को इंजीनियर बताकर किराये पर कमरा लिया था।

पनाह देने वालों का नहीं पता लगा सकी टीमें

चकेरी में कमरुज्जमा के पकड़े जाने पर स्थानीय स्तर पर तौफीक नाम सामने आया था, लेकिन अभी तक उसे ढूंढा नहीं जा सका है। इसी तरह उसे कमरा दिलाने वालों का भी कुछ पता नहीं है। कई राज्यों तक उसके तार जुड़े होने से एनआईए मामले की जांच कर रही है।

आतंकी बनने से पहले नवरात्रि में त्योहार मनाता था 

हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के बारे में जानकारी मिली। आतंकी बनने से पहले कमरुज्जमा नवरात्रि का त्योहार मनाता था और उपवास भी रखता था। ऐसे में कहा जा रहा है कि वहाबी विचारधारा से जुड़ने से पहले कमरुज्जमा काफी उदारवादी था। 

वर्ष 2008 में रिपब्लिक ऑफ पलाऊ जाने के बाद उसमें काफी बदलाव आ गए और वहां से लौटने के बाद वह कश्मीर चला गया। चार साल तक जब वह रिपब्लिक आफ पलाऊ में रहा तो वहां अक्सर होने वाली जमात में शामिल होता था। वहां जमात के लिए आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया से लोग आते थे। जमात में शामिल होने के बाद उसका झुकाव वहाबी विचारधारा की तरफ हो गया।

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