कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में जलीय जीवों की गणना पूरी, संख्या में इजाफा होने की उम्मीद
रामनगर, अमृत विचार: पूरी दुनिया मे बाघो की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ के लिए अपनी पहचान बना चुके कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की रामगंगा नदी में रहने वाले जलीय जीवों की हालिया गणना पूरी हो चुकी है। बता दे कि यहां मगरमच्छ, घड़ियाल और ओटर्स की संख्या को ट्रैक करने के लिए हर साल यह सर्वे किया जाता है,इस बार भी पार्क प्रशासन ने यह कार्य पूरा किया है और उम्मीद जताई जा रही है कि इन जलीव जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है,कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, जो भारत का सबसे पुराना टाइगर रिजर्व है, न सिर्फ बाघों बल्कि जलीय जीवों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।
हर साल यहाँ जलीय जीवों की गणना की जाती है, जिससे उनकी आबादी का आकलन किया जा सके और उनके संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। इस बार यह गणना 3 से 5 मार्च के बीच पूरी की गई। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया जहाँ से होकर रामगंगा नदी बहती है। यह नदी न सिर्फ यहाँ के जीव-जंतुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि पूरे इकोसिस्टम को संतुलित रखने में बड़ी भूमिका निभाती है,पार्क प्रशासन द्वारा हाल ही में कराए गए सर्वे के अनुसार, 197 मगरमच्छ, 183 घड़ियाल और 161 ओटर्स की मौजूदगी दर्ज की गई है,कॉर्बेट प्रशासन के अनुसार, यह सर्वे नावों और वन कर्मचारियों की मदद से किया गया।
विशेषज्ञों की एक टीम ने नदी के अलग-अलग हिस्सों में जाकर ये आंकड़े जुटाए,अब डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है, जिससे यह पता चल सके कि इनकी संख्या में वास्तविक कितनी वृद्धि हुई हुई है। सीटीआर के निदेशक , डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि" हर साल यह गणना की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे नदियों में मौजूद जीव सुरक्षित हैं और इनकी संख्या बढ़ रहीं है,इस बार भी हमने सर्वे पूरा कर लिया है, डेटा का अस्सेसमेंट जारी है और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि "कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में संरक्षण के लिए कई तरह की पहल की जा रही हैं। वन विभाग लगातार इन जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, ताकि इनके आवास को कोई नुकसान न पहुँचे। यहाँ की टीम लगातार इन जीवों की मॉनिटरिंग कर रही है। अगर संख्या में बढ़ोतरी दर्ज होती है, तो यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत होगा। मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जीव पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए इनका संरक्षण जरूरी है।"
