आंतरिक कलह के बीच नेपाल का बैंकिंग क्षेत्र संकट में, जानिए क्या बोले PM केपी शर्मा ओली
काठमांडू/रक्सौल। 'राजतंत्र' की पुनर्वापसी आंदोलन से उत्पन्न आंतरिक कलह ने भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के बैंकिंग क्षेत्र को भी संकट में डाल दिया है। नेपाल में संदिग्ध लेन-देन में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्षों में अनधिकृत आर्थिक गतिविधियों में सात गुना की बढ़ोतरी हुई है। सोमवार को खुद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस तथ्य को नेपाल की संसद में स्वीकार किया। यह सब कुछ ऐसे समय में सामने आया है जब अंतराष्ट्रीय वित्तीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की "ग्रे" सूची से नेपाल जूझ रहा है।
नेपाल धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और आतंकवादी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने में विफल रहने के कारण एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में पहले से ही दर्ज है। ऐसे में नेपाल राष्ट्र बैंक की वित्तीय खुफिया इकाई की अनधिकृत आर्थिक गतिविधियों में सात गुणा वृद्धि वाली रिपोर्ट ने अर्थजगत को सकते में डाल दिया है।
वित्तीय खुफिया इकाई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में 7338 मामले दर्ज किए गए, जो इसके पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। इस वृद्धि में चिह्नित किए गए अधिकांश लेनदेन बैंकिंग, विदेशी मुद्रा, बीमा और सहकारी समितियों से जुड़े हैं, जिनमें कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के मामले शामिल हैं। प्रधानमंत्री ओली ने सोमवार को नेपाल की संसद को बताया, कुछ तत्व नेपाल के बैंकिंग क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश में लगे हैं। ऐसी ताकतें वित्तीय संस्थानों के खिलाफ लोगों को भड़का रही हैं और इस विचार को बढ़ावा दे रही है कि ऋण चुकाने की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि यही शक्तियां सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हुए सरकार, व्यवस्था और संविधान के खिलाफ लोगों में अविश्वास भी फैला रही हैं। प्रधानमंत्री द्वारा ऐसा स्वीकार किया जाना केवल आंतरिक कलह (राजतंत्र की पुनर्वापसी आंदोलन) से निपटने का राजनीतिक स्टंट नहीं माना जा सकता। वह भी वैसी स्थिति में जब नेपाल एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में हो और सरकार की ही वित्तीय खुफिया इकाई की रिपोर्ट अनधिकृत लेन-देन में बेतहाशा वृद्धि को पुष्ट करती हो। यह नेपाल की मौजूदा सरकार के लिए डराने वाली खबर है।
एक तरफ राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता, बेरोजगारी और महंगाई ने लोकतांत्रिक व्यवस्था से लोगों का मोहभंग कर रखा है, आंदोलित अवाम सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है और दूसरी तरफ बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता पर संकट वाली खबर, सरकार की मुश्किलें और बढ़ाएंगी। पहले से जो व्यवस्था अपने ही लोगों के बीच विश्वास के संकट से जूझ रही हो, उसके लिए व्यवस्थागत सफर आसान नहीं दिखता। इन प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने और ‘ग्रे’ सूची से बाहर आने के लिए नेपाल की सरकार ने सात-सूत्रीय कार्य योजना अपनायी है, जिसका लक्ष्य एक वर्ष के भीतर अनुपालन करना है। लेकिन, राजतंत्र की पुनर्वापसी आंदोलन से पैदा हुए हालिया हालात ऐसा होने देंगे, कहना कठिन है।
इससे पहले भी नेपाल ने वर्ष 2014 में हटाए जाने से पहले एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में छह साल बिताए थे। इस पर सोमवार को वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल ने संसद को बताया कि कर चोरी से निपटने के लिए पहले से निर्धारित 50 करोड़ रुपये की अधिकार सीमा को घटाकर तीन करोड़ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कर चोरी की शिकायतों के त्वरित निष्पादन के लिए ऐसा किया गया है।
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