सुप्रीम कोर्ट का पटाखों पर लगी रोक में ढील देने से इनकार, बताया ‘अत्यावश्यक’ 

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध में बृहस्पतिवार को ढील देने से इनकार करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण का स्तर काफी समय से चिंताजनक बना हुआ है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा सड़कों पर काम करता है और वह प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। पीठ ने कहा कि हर कोई प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए अपने घर या कार्यस्थल पर ‘एयर प्यूरीफायर’ लगाने का खर्च नहीं उठा सकता। 

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘गत छह महीनों के दौरान इस अदालत द्वारा पारित कई आदेशों से दिल्ली में वायु प्रदूषण के अत्यधिक उच्च स्तर के कारण व्याप्त भयावह स्थिति का पता चलता है...स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है, इसी तरह प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी संविधान का एक अनिवार्य हिस्सा है।’’ 

पीठ ने कहा कि जब तक न्यायालय इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाता कि ‘तथाकथित’ हरित पटाखों के कारण होने वाला प्रदूषण न्यूनतम है, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। शीर्ष अदालत ने कहा कि समय-समय पर पारित आदेश इंगित करते हैं कि पटाखों के उपयोग पर निर्देश और प्रतिबंध दिल्ली में उत्पन्न ‘‘असाधारण स्थिति’’ के मद्देनजर आवश्यक थे। 

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