Kanpur: 12 वर्ष पहले की गई स्टडी फेल, 'गंगा रिवर फ्रंट' हवा-हवाई, नदी ने रास्ते बदले तो फिर से IIT के पाले में डाली गई गेंद

Kanpur: 12 वर्ष पहले की गई स्टडी फेल, 'गंगा रिवर फ्रंट' हवा-हवाई, नदी ने रास्ते बदले तो फिर से IIT के पाले में डाली गई गेंद

अभिषेक वर्मा, कानपुर। गंगा बैराज से सिद्धनाथ घाट तक साढ़े 11 किमी. के गंगा रिवर फ्रंट बनाने का सपना जल्द साकार होता नहीं दिख रहा है। 12 वर्ष पहले रिवर फ्रंट बनाने की हुई स्टडी नदी के रास्ता बदलने की वजह से फेल हो गई। अब एक बार फिर से कानपुर आईआई के पाले में गेंद है। केडीए ने पुनः स्टडी के लिये आईआईटी को पत्र तो लिखा है, लेकिन इसमें भी गाड़ी कोई खास आगे नहीं बढ़ी है। अब इन सबके बीच रिवर फ्रंट को बिठूर तक जोड़ने का सपना भी शहरवासियों को दिखाया जा रहा है। यह सपना भी महज अध्ययन के स्टेज पर है, कागज पर अभी भी कुछ नहीं आया है। योजना ठंडे बस्ते में है।

गंगा बैराज अटल घाट से सिद्धनाथ घाट जाजमऊ तक गंगा के किनारे को स्वच्छ, पर्यावरण और पिकनिक स्पॉट विकसित किया जाना है। इसके साथ ही मार्ग भी बनाया जाना है। गंगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए केडीए को नोडल एजेंसी बनाया जाएगा। संयुक्त विकास की उच्चस्तरीय समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव बताते हैं कि गंगा रिवर फ्रंट में अभी कुछ आगे नहीं बढ़ा है। आईआईटी से कहा गया है कि इसकी स्टडी जो 2013 में कराई गई थी, इसमें 10 वर्ष का समय हो गया। इस अंतराल में नदी में बहुत सारे बदलाव हो गये हैं। कहीं नदी की धारा बदल गई, कहीं गहराई कम तो कहीं ज्यादा हो गई। 

काफी जमीन फ्लड की चपेट में भी आई होगी। इसलिये हम लोगों ने केडीए की ओर से आईआईटी को फिर से स्टडी करने के लिये पत्र लिखा है। अब स्टडी के बाद ही काम आगे बढ़ेगा। हमने एक बात और रखी है। चुंगी से ब्रह्मावर्त घाट का मार्ग संकरा व चौड़ीकरण की संभावनाएं न होने की वजह से चुंगी से गंगा नदी के किनारे परियर सेतु व बैराज तक गंगा रिवर फ्रंट बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने बताया कि चुंगी से लेकर बिठूर तक ड्रा बैंक यह है कि अंदर रास्ता बड़ा सकरा है। इसलिये अल्टरनेट रास्ते की जरूरत है। हम चाहते हैं कि रास्ता भी बन जाये और रिवर फ्रंट भी बन जाये यह अध्ययन स्तर पर ही है। अभी इसमें कुछ आगे नहीं बढ़ा है। 

अथॉरिटी के बदलाव की वजह से हुई देरी

नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) 2019 में नमामि गंगा हो गया। जब बदलाव हुआ है तो बहुत कुछ बदला इसकी वजह से प्रस्ताव पर काम आगे नहीं बढ़ सका है। केडीए अधिकारियों के अनुसार कानपुर में गंगा के तटों को सुरक्षित करना है, आवागमन को व्यवस्थित करना है, गंगा संरक्षण की बात करनी है तो रिवर फ्रंट बनाना जरूरी है। अधिकारियों के अनुसार क्योंकि कानपुर गंगा तट पर बसा है यहां घनी आबादी है। इसलिये रिवर फ्रंट तो शहर की मांग है।

रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की खास बातें

अटल घाट बैराज से सिद्धनाथ जाजमऊ गंगा के किनारे पाथवे व सड़क मार्ग बनेगा। घाटों का सुन्दरीकरण के साथ ही नए घाट भी बनेंगे। गंगा किनारे खाली पड़ी जमीन को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित की जायेगी। इसके साथ ही गंगा के किनारे लाइटिंग, एमपी थियेटर, बैठने की जगह, पब्लिक एमेनिटीज, व्हीकल पार्किंग, गंगा किनारे तक पहुंचने के रास्ते आदि बनेंगे। बच्चों के लिए पार्क बनेंगे। इसमें झूले लगाए जाएंगे। जगह-जगह फव्वारे बनेंगे। 

केडीए बोर्ड बैठक में दो जगह रिवरफ्रंट की योजना

पिछले वर्ष हुई केडीए की 140वीं बोर्ड बैठक में अटल घाट और एयरपोर्ट के करीब गंगा के किनारे दो जगह रिवरफ्रंट बनाने की योजना पर सहमति बनाई गई। योजना के लिये 100 मीटर जगह और बढ़ाई जानी है। सिंचाई विभाग योजना को धरातल पर उतारना है।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

गंगा रिवर फ्रंट के निर्माण को लेकर जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील से बात की है। पत्र सौंप गंगा रिवर फ्रंट के निर्माण की आवश्यकता को बताया है। भारत सरकार की एक टीम जल्द से जल्द कानपुर सर्वे करने आयेगी। मेरी बात हो रही है। शहर के अधिकारियों से भी जल्द रिपोर्ट मांगेंगे।- रमेश अवस्थी, सांसद

अधिकारी और नेता मिलकर शहर को ख्याली सपने दिखा रहे हैं। 12 वर्षों से रिवर फ्रंट बनाने के लिए एक इंच काम नहीं हुआ। सिर्फ बैठकों में हवाई निर्माण हो रहा है। गंगा रिवर फ्रंट बनाने के लिये मजबूत इरादे होने चाहिये। खोखले वादे न किये जाये। जनता के साथ छलावा न किया जाये। जमीन पर भी कुछ करें।- अमिताभ बाजपेयी, सपा विधायक

रिवर फ्रंट बनाने के लिये फिर से स्टडी हो रही है। हमने आईआईटी को पत्र भेजा है।- मदन सिंह गर्ब्याल, केडीए उपाध्यक्ष

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