पीलीभीत: शिक्षा का अधिकार...1275 में 1100 को ही मिल सका स्कूल, बाकी पढ़ाई से वंचित

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
On

पीलीभीत, अमृत विचार। आरटीई एडमिशन प्रक्रिया में इस बार पीलीभीत के 1275 बच्चों ने दाखिले के लिए आवेदन किया, मगर उनमें से सिर्फ 1100 बच्चों को ही स्कूल आवंटित हो सका। शेष 175 बच्चे अभी भी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। अभिभावकों का तर्क है कि जिन नज़दीकी स्कूलों को उन्होंने प्राथमिकता दी थी, वहां सीट नहीं मिल रही, जबकि दूरस्थ विद्यालयों में अलॉटमेंट किया जा रहा है। चार चरणों में हुई इस प्रक्रिया को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि विभाग का दावा किया जा रहा है कि स्कूल अलॉट किए जा रहे हैं, अधिकांश अभिभावक एडमिशन कराने के लिए तैयार नहीं है।

हर साल नवीन सत्र की शुरुआत से पहले ही शिक्षा का अधिकार योजना के तहत गरीब और पढ़ाई का खर्च न उठा पाने वाले परिवारों से आवेदन मांगे जाते हैं। इस बार यह योजना 20 जनवरी से शुरू की गई थी। पोर्टल खुलने के बाद से लोगों ने आवेदन करने शुरू कर दिए। प्रक्रिया चार चरणों में संपन्न कराई गई। पिछली साल 680 एडमिशन ही हो सके थे। इस बार शासन ने अधिक से अधिक लोगों को इस योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए। योजना पारदर्शिता के साथ संपन्न हो इसको लेकर लाटरी प्रक्रिया कराई गई। पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर प्रवेश देने की बात कही गई।

पहले चरण में 699 को स्कूल आवंटित हुए थे, जबकि 358 को उनके मन मुताबिक स्कूलों में सीट नहीं मिल सकी थी। इसके बाद अफसरों ने दूसरे चरण में स्कूल आवंटन का दावा किया था। जबकि दूसरे चरण में 78 छात्र-छात्राओं को सीटें आवंटित हो सकी है। इसी तरह तीसरे चरण में कुल 390 आवेदन मिले। इनमें 259 आवेदन स्वीकृति हुए थे, जबकि 216 को स्कूल आवंटित हो सका है। 131 रिजेक्ट होने के अलावा 43 छात्र-छात्राओं को मनमर्जी का स्कूल नहीं मिल सका। इसी तरह चौथे चरण में 175 आवेदन आए थे। इनमें 115 स्वीकृति हुए, जबकि 107 को स्कूल मिल सके। आठ को स्कूल नहीं मिल सके। ऐसे में 175 बच्चों ने एडमिशन नहीं लिया है, जबकि करीब 15 फीसदी छात्रों को स्कूल ही आवंटित नहीं हो सका है।

जिले में करीब 600 से अधिक निजी स्कूल पंजीकृत हैं। इनमें भी कई ने यू-डाइस नहीं बनवाया है। इस वजह से वह आरटीई पोर्टल शामिल नहीं है। सिर्फ आरटीई पोर्टल 571 स्कूल शामिल होना बताए जा रहे हैं। अन्य स्कूलों में करीब 15 फीसदी ने खुद को अल्पसंख्यक से जुड़वा लिया है। वह आरटीई पोर्टल के दायरे से बाहर हो गए। वहीं करीब 20 फीसदी स्कूल ऐसे हैं। जिन्होंने पंजीकरण नहीं कराया है। वह अपना स्कूल चला रहे हैं। इस मामले में विभागीय लापरवाही से बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां कम सीटें दिखाकर बच्चों को दाखिले से वंचित कर दिया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि इन स्कूलों में शासन से आरटीई के तहत दाखिला कराने वाले बच्चों की फीस से अधिक फीस स्कूलों की है। इसलिए आरटीई के तहत होने वाले एडमिशन में बच्चों को शत प्रतिशत दाखिल नहीं मिल पाता है।

जिला समन्वयक राकेश पटेल ने बताया कि आरटीई के तहत जिन बच्चों को स्कूल अलॉट किए थे। उनमें कुछ बच्चों ने मनमर्जी का स्कूल न मिलने के चलते एडमिशन नहीं लिया है। एडमिशन के लिए कहा जा रहा है। ताकि वह पढ़ाई से वंचित न रह जाए। जिन स्कूलों में सीट उपलब्ध दी थी। वहां ही स्कूल आवंटित किए गए हैं। 

संबंधित समाचार