Operation Sindoor को लेकर बोले भाकपा नेता, भारतीय संसद से पहले विदेशी सरकारों को ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देना "अस्वीकार्य"

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर संसद के विशेष सत्र की विपक्ष की मांग के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी राजा ने मंगलवार को कहा कि यह ‘अस्वीकार्य’ है कि विदेशी सरकारों को इस मामले की जानकारी दी जाए और भारतीय लोग इसे लेकर ‘अंधेरे में रहें’।

भाकपा महासचिव ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों सहित प्रमुख देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का सरकार का फैसला ‘अस्पष्टता’ को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर न तो राजनीतिक दलों से परामर्श किया गया और न ही उन्हें जानकारी दी गई, और इन प्रतिनिधिमंडलों के कार्यक्षेत्र पर ‘कोई स्पष्टता नहीं’ है।

उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘यह अस्वीकार्य है कि विदेशी सरकारों को जानकारी दी जाएगी जबकि भारत की अपनी संसद और लोग अंधेरे में रहेंगे।’’ कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट को लेकर अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर की हाल में गिरफ्तारी के मुद्दे को उठाते हुए भाकपा नेता ने इसे ‘असहमति का दमन’ करार दिया।

राजा ने पोस्ट में कहा, ‘‘पहलगाम हमले के बाद से, राष्ट्र ने आतंक के खिलाफ एकजुटता के साथ जवाब दिया है। फिर भी, भाजपा ने विभाजन को गहरा करने, राजनीतिक लाभ हासिल करने और असहमति को दबाने के लिए इस अवसर का फायदा उठाने का फैसला किया है। प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी, जो उनके शब्दों के लिए नहीं, बल्कि उनकी पहचान और तर्कपूर्ण आलोचना के लिए की गई, कई परेशान करने वाले संकेतों में से एक है।’’ राजा ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की शर्तों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर ‘बढ़ते भ्रम’ पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने कहा, ‘‘चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने अभी तक ट्रंप के दावों का स्पष्ट रूप से खंडन या निंदा नहीं की है। यह विदेश सचिव के संसदीय समिति के समक्ष दिए गए कथित बयान के बिल्कुल विपरीत है कि दोनों पक्षों ने पारंपरिक युद्ध तरीकों का इस्तेमाल किया।’’ भाकपा नेता ने आगे सवाल किया कि क्या सरकार इन सवालों का जवाब देगी या भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा संवाद ‘‘डोनाल्ड ट्रंप के एकतरफा बयानों का बंधक बना रहेगा’’। राजा ने कहा कि सरकार को दुनिया से संपर्क करने से पहले ‘अपने लोगों और संस्थानों का सम्मान करना चाहिए’।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत पारदर्शिता, एकता और सम्मान का हकदार है, ना कि अहंकार, अस्पष्टता और दमन का।’’ राजा ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की विदेश नीति पर भी निशाना साधा और कहा कि ‘‘कोई भी बड़ा देश भारत के साथ स्पष्ट रूप से खड़ा नहीं हुआ’’। उन्होंने कहा, ‘‘इससे भी बुरी बात यह है कि विजय शाह जैसे भाजपा नेता, जिन्होंने एक सम्मानित अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को केवल उनके धर्म के आधार पर आतंकवादियों से जोड़ा था, मंत्री पद पर कायम हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहज स्थिति पैदा हुई।’’

केंद्र ने रविवार को सात प्रतिनिधिमंडलों की घोषणा की, जिनमें विभिन्न दलों के नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल होंगे और जो पार्टी लाइन से हटकर दुनिया के कई देशों की राजधानियों की यात्रा करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने के भारत के संकल्प को वहां के नेताओं के सामने रखेंगे। 

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