नीम करौली बाबा के चार धाम, कैंची धाम यात्रा को बनाएं पूर्ण

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड का नैनीताल जिला न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भूमि अध्यात्म की अनमोल धरोहर भी समेटे हुए है। इस क्षेत्र में स्थित नीम करौली बाबा के चार पवित्र धाम आज लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुके हैं। बाबा का प्रमुख मंदिर कैंची धाम तो विश्व प्रसिद्ध है ही, लेकिन नैनीताल जिले में स्थित तीन और स्थान हनुमानगढ़ी, काकड़ीघाट (शीतला खेड़ा) और भूमियाधार धाम भी बाबा से जुड़े अद्भुत चमत्कारों के साक्षी रहे हैं। यदि आप केवल कैंची धाम तक ही सीमित हैं, तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाती है।
बाबा नीम करौली के जीवन और चमत्कारों से जुड़े ये चारों धाम, एक संपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। यहां की यात्रा न केवल भक्तिभाव बढ़ाती है, बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा को भी नई दिशा देती है। इन चारों स्थलों की यात्रा करने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा के इन धामों से गुजरते हुए उन्हें जीवन में कई समस्याओं का समाधान और नई ऊर्जा मिली है। यहां केवल दर्शन ही नहीं, बल्कि अनुभव होता है एक ऐसी उपस्थिति का जो शब्दों में नहीं, केवल आत्मा से महसूस की जा सकती है।
1. कैंची धाम
यह बाबा का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख धाम है, जिसका निर्माण स्वयं नीम करौली बाबा ने करवाया था। यहां हर साल 15 जून को विशाल भंडारा होता है। यह धाम भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है और बाबा की चमत्कारी लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां हनुमान जी के साथ बाबा की मूर्ति भी है, जहां भक्त शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह जगह सोमवारी महाराज की तपोस्थली भी रही है। आज भी उनकी धुनी के अवशेष यहां मौजूद हैं। कैंची धाम देश के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
2. हनुमानगढ़ी धाम
नैनीताल शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर यह धाम नैनीताल-हल्द्वानी मोटरमार्ग पर मनोरा की पहाड़ी पर स्थित है। बाबा ने 1950 में यहां एक कुटिया बनवाई और साल 1953 में हनुमान जी की विशाल मूर्ति स्थापित की। बाद में राम मंदिर और शिव मंदिर का निर्माण भी कराया गया। यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर से बाबा के कई चमत्कार भी जुड़े हुए हैं।
3. भूमियाधार धाम
यह आश्रम नैनीताल से 12 किमी दूर भवाली-ज्योलीकोट हाईवे पर है. बाबा अक्सर इस स्थान पर आते थे और कीर्तन-भजन किया करते थे. स्थानीय लोगों ने अपनी जमीन और दुकानें दान में देकर इस आश्रम के निर्माण में सहयोग किया था. आज यह एक शांत, प्राकृतिक वातावरण में स्थित आध्यात्मिक स्थल है.
4. काकड़ीघाट आश्रम
भवाली से अल्मोड़ा की ओर 30 किमी की दूरी पर स्थित यह धाम संत सोमवारी महाराज की तपोस्थली है। यहां बाबा ने शिवलिंग की स्थापना की थी और यहां सोमवारी बाबा की धूनी भी मौजूद है। बाबा इस स्थान पर अक्सर भंडारे और भजन कीर्तन का आयोजन करते थे।