29 साल की जद्दोजहद के बाद सुदामा को मिला इंसाफ, जीपीएफ खाते में पहुंचे 3.07 लाख रुपए
कानपुर, अमृत विचार : कहते हैं कि धैर्य और उम्मीद कभी व्यर्थ नहीं जाती। ऐसा ही सच हुआ 89 वर्षीय सेवानिवृत्त संग्रह सेवक सुदामा प्रसाद के साथ। करीब 29 साल तक सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले सुदामा को आखिरकार जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की सक्रियता से इंसाफ मिल गया। ब्याज सहित 3 लाख 7 हजार रुपए अब उनके खाते में पहुंच चुके हैं।
जनता दर्शन में रखी थी व्यथा : फरवरी महीने में जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित जनता दर्शन के दौरान पैंट-शर्ट पहने, हाथ में पुरानी फाइल और थैला थामे एक बुजुर्ग खड़े थे। यही थे सुदामा प्रसाद, जो लगभग तीन दशक से अपनी मेहनत की पाई-पाई पाने के लिए भटक रहे थे। भीड़ में अपनी बारी का इंतजार करते हुए उन्होंने जब डीएम के सामने अपनी व्यथा रखी तो पूरा माहौल भावुक हो गया।
एक दस्तावेज़ ने रोक रखे थे पैसे : दरअसल, प्रकरण की जड़ एक पुराने अभिलेख में छिपी थी। पारिवारिक न्यायालय बांदा ने सुदामा को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। मगर उनकी पत्नी का 1995 में निधन हो चुका था। यह महत्वपूर्ण तथ्य अभिलेखों में दर्ज न होने से भुगतान वर्षों तक अटका रहा।
डीएम ने दिलाई राहत : जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया और वर्षों पुरानी फाइलों की जांच कराई। रिकॉर्ड खंगालने के बाद जब हकीकत सामने आई तो उन्होंने निर्देश दिया कि अब एक दिन भी देरी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद 18 अगस्त को ब्याज सहित ₹3,07,000 की राशि सुदामा प्रसाद के खाते में भेज दी गई।
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