World Pneumonia Day: प्रदेश में हर साल 17.5 प्रतिशत बच्चों की मौत का कारण निमोनिया, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को जोखिम अधिक

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Published By Muskan Dixit
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जागरुकता के लिए 28 फरवरी तक चलेगा विशेष अभियान ''सांस''

लखनऊ, अमृत विचार : प्रदेश में पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 17.5 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु का कारण निमोनिया है। जागरुकता की कमी के कारण बच्चे निमोनिया की चपेट में आते हैं। लोगों को निमोनिया के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। वहीं, प्रदेश में तीन माह तक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। अभियान का नाम ''सांस'' रखा गया है। इस संबंध में मंगलवार को मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने सभी संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निदेशक के मुताबिक, 28 फरवरी 2026 तक चलने वाले अभियान ''सांस'' की शुरुआत प्रदेश भर में विश्व निमोनिया दिवस पर बुधवार से होगी।

महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डॉ. मिलिंद वर्धन ने बताया कि कार्यक्रम को तीन माह तक अभियान के रूप में चलाने का उद्देश्य यह है कि सर्दियों के दौरान ठंडी और नम हवा वायरस व बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल होती है। इस मौसम में थोड़ी सी असावधानी बच्चों को निमोनिया की चपेट में ला सकती है।अभियान की टैगलाइन ''निमोनिया नहीं तो बचपन सही'' निमोनिया-मुक्त बचपन के महत्व को रेखांकित करती है।

बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया का अधिक खतरा

केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वेद प्रकाश ने बताया कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निमोनिया पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में अधिक होता है। विश्वभर में एक वर्ष में करीब 45 करोड़ लोग इसकी चपेट में आते हैं, जिनमें से 25 लाख लोगों की जान जा रही है। उन्होंने बताया है कि निमोनिया श्वसन संबंधी बीमारी है। यह बैक्टीरिया, वायरस और फफूंदी के कारण होता है। इससे फेफड़े प्रभावित होते हैं। सर्दियों में इसका प्रभाव अधिक रहता है। निमोनिया के लक्षण 48 घंटों के अंदर गंभीर हो सकते हैं। लिहाजा लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया के लक्षण

शिशु और बच्चे : तेज सांस चलना, खाने-पीने से मना करना, बुखार, खांसी, बेचैनी और होंठ या नाखूनों का नीला पड़ना।

बुजुर्ग : वृद्ध लोगों में बुखार या खांसी न होने पर भी अचानक भ्रम, चक्कर आना, थकान या बेहोशी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसके कारण निमोनिया की ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता और बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।

बचाव के उपाय

•सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं और नंगे पांव न चलने दें।
•नवजात को अच्छी तरह कपड़े से ढकें।
•घर में धुएं से बचने के लिए एलपीजी गैस का उपयोग करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, घर के वायु प्रदूषण में कमी से निमोनिया से मृत्यु दर में कमी आती है।
•बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं, फिर पूरक आहार शुरू करें।
•बच्चे को समय पर विटामिन ए की खुराक दें, जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
•बच्चे को खसरा, रूबेला, पीसीवी और पेंटावैलेन्ट टीके अवश्य लगवाएं।
•खाना बनाने, खिलाने, शौच या बच्चे का मल साफ करने के बाद हाथ साबुन और पानी से धोएं। आसपास की स्वच्छता बनाए रखें। इससे अनेक बीमारियों को रोका जा सकता है।

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