दीक्षांत समारोह: राज्यपाल बोलीं-लड़कियों के आगे रहने से मिली खुशी, मगर लड़के भी नहीं रहें पीछे

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Published By Monis Khan
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बरेली, अमृत विचार। राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने गोद लिए विद्यालयों के बच्चों को सम्मानित किया। बच्चों को उन्होंने पोषण पोटली, स्कूल बैग और प्रमाणपत्र वितरित किए। अपने दीक्षांत भाषण में कुलाधिपति आनंदी बेन ने कहा कि पौराणिक पांचाल क्षेत्र की इस धरती पर साधना और शौर्य का संगम हुआ। जैन तीर्थों से लेकर 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की रणभूमि तक रूहेलखंड की इस धरती ने अपनी अमिट भूमिका निभाई है। 

ये संतोष का विषय है कि हमारी छात्राएं शिक्षा और अनुसंधान में निरंतर नई ऊंचाईं छू रही हैं। मगर ये भी जरूरी है कि शिक्षा के इस प्रतिस्पर्धी युग में संतुलन की स्थिति बनी रहे। छात्र और छात्राओं दोनों को शिक्षा के समान संसाधन प्राप्त हों। आज तक 2025 में लगभग वह 36 दीक्षांत समारोह में उपस्थित हुईं सभी जगह यही स्थिति है। क्योंकि सभी जगह छात्र पीछे और छात्राएं आगे हैं। उन्हें इस बात की खुशी है छात्राएं आगे हैं, मगर छात्र भी पीछे नहीं रहने चाहिए।ये प्रयास आपको ही करना होगा।

जीवन निरंतर सीखने की यात्रा
उन्होंने कहा कि जीवन स्वयं निरंतर सीखने की यात्रा है। सीखना केवल शिक्षा तक सीमित नहीं बल्कि ये विचार, अनुभव और व्यवहार की निरंतर साधना है। हमें अपने अर्जित ज्ञान को राष्ट्रनिर्माण के कार्यों में लगाना होगा। सपने वो नहीं जो नींद में आते हैं। बल्कि सपने वो हैं जो नींद को आने ही नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ा सोचिए और कर्म और अपना धर्म बनाएं यही सफलता का शाश्वत सूत्र है। उन्होंने छात्रों को कहा कि आप सभी आगे बढ़ते रहे और देश को भी आगे बढ़ाएं।

लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रेरणा का सूत्रपात
विश्वविद्यालय की लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड की शुरुआत अपने आप में एक प्रेरणा का सूत्रपात है। ये पहला अवार्ड पाने वाले झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार का चयन सरहानीय है। उनका लाइफ टाइम अचीवमेंट अलंकृत होना केवल व्यक्ति का सम्मान नहीं बल्कि उस मूल्य प्रणाली का अभिनंद है, जो राष्ट्र निर्णाण में समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है।

संतोष गंगवार ने याद किए छात्र जीवन के दिन
झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने मेडल और उपाधि हासिल करने वाले शोधार्थियों को बधाई दी। विश्वविद्यालय का लाइफ टाइमी अचीवमेंट सम्मान मिलने पर खुद कौ गौरवांवित और भावुक बताया। उन्होंने कहा कि ये केवल उनका व्यक्तिगत सम्मान नहीं बल्कि उन सभी का सम्मान है, जिन्होंने उन्हें इस मार्ग पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया कि किस तरह आपातकाल के दौरान जेल में भी रहना पड़ा और रूहेलखंड विश्वविद्यालय बनने का सिलसिला उस घटनाक्रम के बाद मजबूती मिली हम इस बात को महसूस कर सकते हैं। 

बरेली की इस धरती से उनका आत्मीय संबंध है, यहां की जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर कई बार लोकसभा में भेजा। यहां कि गलियों और बाजार की स्मृतियां उनके अंतरमन में बसी हैं। रूहेलखंड विश्वविद्यालय की स्थापना बरेली और आसपास की जनता की सझा आकांशाओं का परिणाम है। ये खुशी की बात ये है कि ये विश्वविद्यालय आज नैक-ए-++ रैंकिंग हासिल कर चुका है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधार को लेकर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की खूब प्रशंता की। उन्होंने कहा कि यूपी में राज्यपाल का ये काम दूसरे प्रदेशों में उदाहरण बन गया है।

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