Shri Prakash Jaiswal: जब राजीव गांधी ने पहना श्रीप्रकाश का कुर्ता, रातभर रोड शो...
-एक बार कानपुर आए कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री रात अधिक होने पर यहीं ठहरना पड़ा और नहीं साथ आए थे उनके कपड़े, तब उन्होंने जायसवाल का कुर्ता इस्तेमाल किया था। -इसके बाद वह कांग्रेस हाईकमान के अति निकट आ गए और फिर ओहदे पे ओहदे मिलते गए, कई और नेताओं की नज़र में आए, नजदीकियां बढ़ी और बन गया भौकाल। -इस शहर के पहले ऐसे नेता थे, जो मेयर, तीन बार सांसद, दो बार केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के शहर और फिर प्रदेश अध्यक्ष भी रहे, राजनीति की हवा भांपने में माहिर थे।
शैलेश अवस्थी, कानपुर, अमृत विचार। श्रीप्रकाश कानपुर के ऐसे नेता थे, जिन्होंने विवाद में पड़े बगैर राजनीतिक ऊंचाइयां हासिल कीं और अपने विरोधियों को ख़ामोशी से किनारे लगाते हुए आगे बढ़ते रहे l वह पार्टी हाईकमान के हमेशा करीबी रहे l
बात 1990 के आसपास की रही होगी, जब राजीव गांधी कानपुर आए थे और बिधनू से नौबस्ता होते हुए पूरे शहर में रोड शो किया था l वह खुली जीप में श्रीप्रकाश जायसवाल और अन्य स्थानीय नेताओं के साथ जनता का अभिवादन करते चल रहे थे l भीड़ इस कदर थी कि उनका काफिला रेंग कर चल रहा था l उन्हें तीन घंटे ही रोड शो करना था, पर भीड़ ऐसी कि 10 घंटे बीत गए और आधी रात हो गईl सुबह 4 बजे वह सर्किट हाउस पहुंचे और तब तक उनके कपड़े अस्तव्यस्त और मैले हो चुके थे l कोई दुकान भी नहीं खुली थी कि कपड़े खरीदे जा सकें l
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श्रीप्रकाश ने फटाफट अपने घर से कुर्ता-पजामा मंगवाया जो राजीव गांधी के एकदम फिट हो गया और वह बेहद खुश हुए l रोड शो में श्रीप्रकाश ने पूरी ताकत झोंक दी थी, भीड़ और जनता का समर्थन देख राजीव गांधी ने श्रीप्रकाश की पीठ ठोंकी और फिर इसके बाद उनकी सीधे पहुंच दिल्ली दरबार तक हो गई l23.png)
इसके बाद श्रीप्रकाश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गए l कांग्रेस के शहर अध्यक्ष, मेयर, प्रदेश अध्यक्ष, तीन बार सांसद, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और कोयला मंत्री बने l इस दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता भी उनके दरबार में हाज़िरी देते थे l वह राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी के निकट रहे और फिर 2019 का चुनाव हारने के बाद बीमारी के कारण राजनीति से लगभग अलग हो गए l23.png)
ओहदों से कई बार इस्तीफा दिया, पर बड़े पद मिले
राजनीतिक हवा भांपने में माहिर श्रीप्रकाश जायसवाल ने शहर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो मेयर का टिकट मिला और जीते, मेयर पद से इस्तीफ़ा दिया तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए l इस पद से इस्तीफ़ा दिया तो सांसद और मंत्री बन गए l इस तरह वह अपने राजनीतिक विरोधियों को चौंकाते रहते थे l यही उनकी राजनीतिक यूएसपी मनी जाती थी l
कोई नहीं भांप पाता था, उनका मन...
श्रीप्रकाश जायसवाल के बेहद करीबी रहे शैलेन्द्र दीक्षित बताते हैं कि राजनीति में उनके बाएं हांथ को नहीं पता होता था, कि दायां क्या करेगा l जहां से उनके विरोधी सोचना बंद करते थे, वहां से वह अपने राजनीति कदम लेना शुरू करते थे और सबके आगे निकल जाते थे l हकीकत तो यह है कि अक्सर उनके परिवार को ही उनके कदम की भनक नहीं होती थी, वह भौकाल दिखाते नहीं थे, उनके काम और ओहदे उनकी हैसियत की कहानी कहते थे l23.png)
मदनमोहन का टिकट कटा और श्रीप्रकाश की किस्मत चमकी
1999 में कांग्रेस ने उस वक्त के दिग्गज स्थानीय नेता मदन मोहन शुक्ला को लोकसभा चुनाव का कानपुर सीट से टिकट फाइनल किया था l स्टेशन पर उनके स्वागत में कार्यकर्त्ता ढोल लेकर पहुंच गए, ट्रेन रुकते ही उन्हें मालाओं से लाद दिया गया था l तभी अचानक खबर आई कि मदन मोहन को नहीं, श्रीप्रकाश को उम्मीदवार बनाया गया है l अगर तब उन्हें टिकट न मिलता तो वह शायद इतने बड़े नेता न होते l
