फेंसेडिल कफ सिरप केस : बर्खास्त सिपाही ने लखनऊ में किया एक वर्ष में 15 करोड़ का निवेश, तलाश में जुटी पुलिस

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी में एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की भूमिका जांच का दायरा बढ़ने के साथ साफ होती जा रही है। आलोक सिंह ही प्रमुख था। गिरोह में उसका प्रभाव पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी होने के कारण अधिक था। वह जो कहता था वही गिरोह के लोग करते थे। इसी का फायदा उठाते हुए उसने गिरोह की कमान अपने हाथ में लेनी शुरू कर दी थी। पुलिस के मुताबिक आलोक सिंह ने बीते एक वर्ष में लखनऊ में 15 करोड़ रुपये निवेश किए हैं।

एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक आलोक सिंह को कफ सिरप की तस्करी में पांच लाख रुपये निवेश करने पर जब 25 लाख रुपये का मुनाफा मिला। इसके बाद वह कारोबार से सीधे तौर पर जुड़ना चाहा। उसने गिरोह पर धीरे-धीरे कमांड करना शुरू कर दिया। तस्करी से लेकर खरीददारी तक में आलोक की दखल थी। अमित सिंह टाटा और शुभम जायसवाल के साथ करोड़ों रुपये की कमाई करने लगे। उन रुपयों को खपाने के लिए आलोक ने राजधानी में निवेश करना शुरू कर दिया। मकान, जमीन समेत अन्य चीजें खरीदना शुरू कर दी।

यही नहीं, उसने लखनऊ में पूर्व सांसद धनंजय के घर के पास ही अपना भी एक मकान खरीद लिया। जून महीने में उसने गृह प्रवेश किया, तो सभी को बुलाया था। पुलिस के मुताबिक उसने सिरप के अवैध धंधे में आने के बाद 15 करोड़ रुपये से ज्यादा राजधानी में निवेश किया था। पुलिस इसका पता लगा रही है कि आलोक ने कहां-कहां रुपया लगाया था। उधर, कफ सिरप मामले में उसका नाम सीधे तौर पर जुड़ने से आलोक फरार हो गया और सरेंडर की तैयारी कर रहा है। फिलहाल, एसटीएफ उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न इलाकों में दबिश दे रही है।

ठिकानों पर एसटीफ की नजर

एसटीएफ अधिकारी के मुताबिक आलोक के लखनऊ में कई ठिकाने हैं। जिसमें राजाजीपुरम निवासी सपा नेता भाई, इंदिरानगर तकरोही निवासी डब्बू यादव व अन्य लोगों के नाम हैं। इन्हीं लोगों के यहां आलोक के छिपे होने की जानकारी एसटीएफ को लगी है। फिलहाल, एसटीएफ दबिश दे रही है। उधर, तकरोही निवासी डब्बू यादव के खिलाफ भी एसटीएफ जानकारी जुटा रही है, क्योंकि उसका नाम भी सिंडीकेट से जुड़े होने की बात सामने आ रही है।

ऐसे में एसटीएफ के हाथ कोई तथ्य लगने पर गिरफ्तारी की जाएगी। जांच में सामने आया कि आलोक के नाम दो फर्म है। उन फर्म की पूरी जानकारी निकाली जा रही है। उसकेहर एक लेन-देन के बारे में पता किया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक आलोक ने जहां-जहां रुपये लगाया था, उसकी पूरी डिटेल जुटाई जा रही है। संबंधित विभागों की मदद से उसपर भी कार्रवाई की जाएगी।

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