NBRI International Seminar: समापन से कार्य समाप्त नहीं होता, आरंभ होता है... जलवायु परिवर्तन, कृषि से लेकर कई विषयों पर हुआ चर्चा
लखनऊ, अमृत विचार: सीएसआईआर–राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का मंगलवार शाम को समापन हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश के करीब 300 प्रतिनिधियों ने पर्यावरण से लेकर कृषि तक विभिन्न विषयों पर मंथन किया। समापन भाषण मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने दिया। एनबीआरआई के निदेशक डॉ. एके शासनी ने कहा कि सम्मेलन के निष्कर्ष संस्थान में भविष्य के अनुसंधान और तकनीकी विकास का मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि समापन के साथ कार्य समाप्त नहीं होता, बल्कि यहीं से आगे बढ़ता है।
अवनीश अवस्थी ने पर्यावरण संरक्षण और पौध-आधारित रणनीतियों की भूमिका की सराहना की और वैज्ञानिक अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान को नीति निर्माण में अधिक शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत पर्यावरणीय विविधता और वनस्पतियों के लिहाज से समृद्ध है और राज्य सरकार के प्रयासों से दो करोड़ से अधिक पौधारोपण किए गए हैं।
आईसीपीईपी–7 के पोस्टर सत्रों में छात्रों, शोधकर्ताओं और युवा वैज्ञानिकों ने भाग लिया। समापन समारोह में मुंबई, लखनऊ, देहरादून, शिलांग, गोरखपुर, पिलानी, प्रयागराज, ढाका, बिलासपुर, पंजाब और मैंगलोर के प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।
डॉ. यूसी लवानिया को इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एनवायरनमेंटल बॉटनिस्ट्स (आईएसईबी) द्वारा मानद फेलोशिप प्रदान की गई। डॉ. विवेक पांडेय, उपाध्यक्ष आईएसईबी व आयोजन सचिव ने सम्मेलन रिपोर्ट प्रस्तुत की और डॉ. सौमित के. बेहरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रो. बिस्वजीत प्रधान (सिडनी), प्रो. मुकुंद देव बेहरा (आईआईटी खड़गपुर), प्रो. अजय शर्मा (यूएसए) और डॉ. देबाशिष चक्रवर्ती (एनबीआरआई) ने जलवायु परिवर्तन, कृषि, पादक और आर्सेनिक से जुड़े सामयिक विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। सम्मेलन ने नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए पर्यावरण संरक्षण व सतत विकास की दिशा में नए अवसर खोलने का मार्ग दिखाया।
