SC ने वक्फ रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ाने से किया इनकार, बोले अनीस मंसूरी- अनाथों-विधवाओं की अमानत पर खतरा!
लखनऊ, अमृत विचार। उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की समय सीमा 5 दिसम्बर को आगे बढ़ाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मना किए जाने के बाद पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां केवल जमीन-जायदाद नहीं, बल्कि यतीम बच्चों, गरीब परिवारों, पसमांदा तबकों और विधवाओं की अमानत है। इनसे जुड़े निर्णयों में अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वक्फ व्यवस्था देश के सबसे कमजोर और पिछड़े तबकों के लिए एक मजबूत सामाजिक सहारा रही है। शिक्षा, इलाज, सहायता और सामाजिक उत्थान से जुड़ी अनेक जरूरतें वक्फ संपत्तियों से पूरी होती हैं। ऐसे में इनका सुरक्षित रख-रखाव और सही रजिस्ट्रेशन बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का संरक्षण केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है। इसे ऐसे तरीके से लागू किया जाना चाहिए कि किसी भी गरीब या बेवा का हक तकनीकी खामियों की वजह से प्रभावित न हो। अनीस मंसूरी ने कहा कि उम्मीद पोर्टल पर देश भर की लाखों वक्फ संपत्तियों का अद्यतन व सटीक रजिस्ट्रेशन कराना मूलतः वक्फ बोर्डों की जिम्मेदारी है।
