World Wildlife Conservation Day Special: यूपी की जंगल सफारी में नंबर-1 बनने की राह पर! गैंडा-बाघ के साथ कमाई भी, जयवीर सिंह का मेगा प्लान

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार : पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि वन, सिंचाई सहित अन्य विभागों से समन्वय कर पर्यटकों के लिए आकर्षक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। हमारा प्रयास वन्य जीव संरक्षण को सुदृढ़ करते हुए स्थानीय समुदाय को आजीविका के नए अवसरों से जोड़ना है।

पर्यटन मंत्री ने गुरुवार को जारी बयान में बताया कि प्रदेश में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा, घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि उनके लिए वातावरण भी विकसित किया गया है। दुधवा, पीलीभीत, कतर्नियाघाट, अमानगढ़ और सोहगीबरवा जैसे वन क्षेत्र पर्यटकों को विशेष अनुभव प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि तराई, ब्रजभूमि, गंगा नदी का क्षेत्र, बुंदेलखंड और विंध्य वनक्षेत्र हर इलाके में जैव विविधता के संरक्षण और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा निरंतर कार्य किया गया है।

तीन वर्षों में 161 करोड़ रुपए खर्च

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इको-टूरिज्म विकास बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों में 161 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च कर विभिन्न प्राकृतिक स्थलों पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की हैं। इनमें मार्ग सुधार, कैफेटेरिया, इको-फ्रेंडली विश्राम स्थलों, गजिबो, नेचर ट्रेल, बर्ड वॉचिंग स्थान और बच्चों के लिए खेलने के क्षेत्र जैसी सुविधाएं शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में निरंतर बढ़ता निवेश राज्य की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है।

विकसित यूपी @2047'' की ओर बढ़े कदम

पर्यटन मंत्री ने बताया कि हाल ही में संपन्न ‘विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ कार्यशाला में ईको-टूरिज्म को राज्य की भविष्य रणनीति का अहम आधार माना गया है। वेटलैंड्स और वाइल्ड लाइफ जोन में हरित नेटवर्क विकसित किया गया है। उत्तर प्रदेश को प्रकृति-आधारित पर्यटन का नया प्रमुख गंतव्य बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने बताया कि इको टूरिज्म को गुणवत्तापूर्ण और समृद्ध अनुभव बनाने के लिए दुधवा, पीलीभीत और कतर्नियाघाट क्षेत्रों में नेचर गाइड्स को प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही, स्थानीय निवासियों को होम स्टे विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

 

 

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