रुपये की टेढ़ी चाल से आयातकों को नुकसान, विदेश से आने वाला कच्चे माल पर असर, उत्पाद के रेट प्रभावित

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

उद्यमियो ने आरबीआई से सहयोग किए जाने की उठाई मांग

कानपुर, अमृत विचार। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में एक बार फिर तेज बदलाव हुआ है। यूएस डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत मनोवैज्ञानिक स्तर 90 रुपये को छू जाने के बाद शहर के आयातक परेशान है। अब उन्हें तय मूल्य से अधिक रुपये देकर उत्पाद या कच्चा माल मंगवाने का डर सताने लगा है।

उधर इस बदलाव का असर विदेश से आने वाले कच्चे माल को भी प्रभावित करेगा। इससे देश व विदेश जाने वाले उत्पाद भी महंगे होने का डर उद्यमियों को सता रहा है। इस गिरावट के बाद उद्यमियों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से रुपये के दामों की चाल को संभालने के लिए उपाय किए जाने की मांग उठाई है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की ऐतिहासिक गिरावट मनोवैज्ञानिक स्तर 90 रुपये के आस-पास आने के बाद शहर के आयातक और उद्यमी परेशान है। वे रुपये की गिरावट से कारोबार में होने वाले नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि रुपये में गिरावट से विदेश से आने वाला कच्चा माल महंगा होगा।

इसका असर तैयार उत्पाद पर भी पड़ेगा। यदि ऐसे में कच्चे माल का उपयोग निर्यात संबंधी उत्पाद में होगा तो वह भी महंगा होगा। उधर वही उत्पाद यदि घरेलू बाजार में बिकेगा तो उसपर भी सीधा असर दिखाई देगा। ऐसे में रुपये में गिरावट औद्योगिक लेन-देन को सीधेतौर पर प्रभावित कर सकती है।  

डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार कीमत में गिरावट हो रही है। इस मनोवैज्ञानिक स्तर के छूने से शहर के औद्योगिक इकाइयों के आयातकों को लेन-देन संबंधी कठिनाइयों को सामना करना पड़ सकता है। इसका सीधा असर कारोबार पर पड़ेगा है। अब समय आ गया है जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस गिरावट पर हस्तक्षेप कर रुपये के स्तर पर सुधार संबंधी कदम उठाए... उमंग अग्रवाल, महासचिव फीटा


डॉलर की चाल से इस समय यूरोप को छोड़कर सभी देश प्रभावित हो रहे हैं। जहां तक शहर के उद्योग की बात है तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट से इनपुट कॉस्ट महंगी हो जाएगी। इनपुट कॉस्ट महंगी होने का असर हर उस उत्पाद पर पड़ेगा जिसमें आयातित सामग्री का उपयोग हुआ हो। ऐसे में इससे शहर का उद्योग भी प्रभावित होगा... सुशील शर्मा, चेयरमैन इंडस्ट्री कमेट।

डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट का असर छोटे उद्योग से लेकर बड़े उद्योग तक सीधा पड़ता है। हर वो उत्पाद जिसमें विदेशी सामग्री का उपयोग होता है उस पर असर पड़ेगा। इससे निर्यातक भी प्रभावित होंगे। निर्यातकों का उत्पाद महंगा होने से उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पाद की कॉस्ट भी बढ़ाकर ही बतानी होगी। निर्यातकों को भुगतान में लाभ संभव है... वैभव सारस्वत, रक्षा उद्यमी।

डॉलर के मुकाबले रुपये में सामने आई मनोवैज्ञानिक गिरावट से आयात करना महंगा होगा। निर्यातकों को इसमें भुगतान में लाभ मिलेगा। शहर में निर्यात के मुकाबले आयात औसत तीन फीसदी अधिक है। इसलिए इसका असर उद्योग पर अधिक भी पड़ेगा। अमेरिका के रुख से इस समय करेंसी रेट प्रभावित हो रही है। वैश्विक बाजार में सुधार आने के बाद रुपये की कीमत में भी निश्चित सुधार संभव है... आलोक श्रीवास्तव, सहायक निदेशक फियो।

संबंधित समाचार