UP News: खरमास बाद योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल! भूपेंद्र सिंह चौधरी बन सकते मंत्री, नए साल में भाजपा को मिलेगा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष
राज्य ब्यूरो/लखनऊ, अमृत विचार। भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने के साथ ही सियासी हलचल अब सरकार और संगठन दोनों स्तर पर तेज हो गई है। खरमास समाप्त होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार लगभग तय माना जा रहा है। यह बदलाव खरमास बाद मकर संक्रांति के आसपास हो सकता है। इसके साथ ही नये साल में भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने और केंद्र सरकार में भी मंत्रिमंडल फेरबदल की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
भाजपा नेतृत्व संगठनात्मक बदलाव के बाद सरकार को पूरी तरह चुनावी मोड में लाने की तैयारी में है। 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन और सरकार दोनों में नई ऊर्जा भरने की रणनीति पर काम चल रहा है। इसी क्रम में योगी मंत्रिमंडल का पुनर्गठन केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि पूरी तरह राजनीतिक और चुनावी दृष्टि से संतुलित होगा।
सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का मंत्रिमंडल में शामिल होना लगभग तय है। अध्यक्ष पद से हटने के बाद उन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके अलावा एक-दो राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने पर भी विचार चल रहा है, जबकि कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। फेरबदल में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि पश्चिम, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध सभी क्षेत्रों को साधा जा सके।
सहयोगी दलों को भी प्रतिनिधित्व
मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दलों को भी हिस्सेदारी दिए जाने के संकेत हैं। राष्ट्रीय लोकदल और अपना दल (एस) से एक-एक विधायक को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। इससे गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूती देने और सहयोगी दलों में संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है।
डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी चर्चा में
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि उत्तर प्रदेश को एक और उप मुख्यमंत्री मिल सकता है। इस रेस में साध्वी निरंजन ज्योति का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र और नोएडा से विधायक पंकज सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अटकलें हैं। यदि ऐसा होता है, तो इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और शहरी वोट बैंक को साधने की बड़ी कवायद माना जाएगा।
छह नए चेहरों की गुंजाइश
वर्तमान में योगी सरकार में कुल 54 मंत्री हैं, जबकि संवैधानिक रूप से 60 मंत्रियों तक की अनुमति है। ऐसे में करीब छह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कुछ मौजूदा मंत्रियों का प्रदर्शन संतोषजनक न होने पर उन्हें हटाया भी जा सकता है। इसका उद्देश्य सरकार की कार्यशैली में नई धार और चुनावी संदेश दोनों देना है।
सपा के बागियों पर भी नजर
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं में समाजवादी पार्टी से अलग होकर भाजपा के समर्थन में आए विधायकों को लेकर भी मंथन चल रहा है। पूजा पाल और मनोज पांडेय के नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं। इसके अलावा महेंद्र सिंह को लेकर भी विचार किया जा रहा है। इन चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देना विपक्षी खेमे में राजनीतिक संदेश देने वाला कदम माना जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े फैसले
सूत्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के आसपास भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिल सकता है। इसके बाद केंद्र सरकार में भी मंत्रिमंडल फेरबदल और नए चेहरों को मौका देने की तैयारी है। ऐसे में जनवरी 2026 से पहले संगठन और सरकार दोनों स्तर पर बड़े राजनीतिक फैसले होते दिख रहे हैं। कुल मिलाकर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद शुरू हुई यह प्रक्रिया मकर संक्रांति तक निर्णायक मोड़ ले सकती है। संगठन, राज्य सरकार और केंद्र तीनों स्तर पर होने वाले बदलावों को भाजपा आने वाले चुनावों से पहले अपनी सियासी धार मजबूत करने के रूप में देख रही है।
