सनातन धर्म का वास्तविक अर्थ धर्म नहीं सत्य है
सनातन शब्द को प्राचीन वैदिक संस्कृति से जोड़ कर देखा जाता है, जिसका संबंध भारत भूमि से है। वैदिक संस्कृति भारत की प्राचीन संस्कृति है और आस्था का मुख्य केंद्र भी है, इसी वैदिक संस्कृति के ज्ञान को सत्य ज्ञान कहा गया है, सत्य को ही सनातन कहा गया है ‘अर्थात’ वैदिक संस्कृति का वह ज्ञान जो संपूर्ण सत्य है, यह सत्य सदा के लिए है और जो सदा के लिए है वही सनातन है, इसीलिए वैदिक धर्म को ही सनातन धर्म भी कहा जाता है, सनातन शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘सदा से रहा है, सदा के लिए है और सदा ही रहेगा’अर्थात जो सदा ही है कभी न मिटने वाला वह अनंत काल से अनंत काल तक शाश्वत है, वहीं सनातन है’।
विश्व की सभी संस्कृतियों में अति प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृति, से उद्धृत विश्व का सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म है जिसे मानने वाले हिन्दू धर्मावलंबी आज भी सनातन धर्मी कहलाते हैं। सनातन शब्द का अर्थ बड़ा ही व्यापक है। पूरे विश्व में मुख्य रूप से आस्तिक और नास्तिक दो विचारधारा हैं आस्तिक वे हैं, जिनका विश्वास ईश्वर में है, उनमें इस सृष्टि की रचना ईश्वर द्वारा किए जाने की मान्यता है तथा नास्तिक वे हैं, जिनकी मान्यता इस सृष्टि की स्थापना स्वतः से हुई वे ईश्वर को मानने से इंकार करते हैं, वहीं आस्तिक विचारधारा कई धर्मों संप्रदायों की अपनी अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं में विभक्त है, वे इस सृष्टि को बनाने वाले एक ईश्वर में आस्था और विश्वास समान रूप से रखते हैं, लेकिन उनकी आस्था और विश्वास एक दूसरे से भिन्न-भिन्न रहते हैं, परंतु इसके बावजूद भी पूरे विश्व के सभी धर्मों और विचारधाराओं के मूल में सनातन धर्म में उल्लिखित किसी न किसी मत अथवा विश्वास की ही प्रेरणा दिखाई देती है इसीलिए आज भी बहुसंख्य सनातन मतावलंबी सनातन को कभी न समाप्त होने वाले धर्म के रूप में अटूट आस्था रखते हैं तथा सनातन धर्म को साक्षात् ईश्वर द्वारा स्वयंम स्थापित मानते हैं।
वर्तमान में जो भी विश्व में संस्कृति या सभ्यताएं हैं। उन सभी धर्मों और सभ्यताओं का इतिहास लगभग 2 से 3000 साल के भीतर का ही है, अगर इन्हें इनके ऐतिहासिक क्रम में देखा जाए, तो आज भी भारतीय प्राचीन संस्कृति और सभ्यता सबसे प्राचीन है। भारत की सनातन संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है, जिसका कोई एक ग्रंथ नहीं है और कोई एक पैगम्बर या ईश्वर का दूत नहीं है। इसके अलावा मुख्य कुछ ग्रंथों महाकाव्यों के अलावा सैकड़ों रचनाएं, पुस्तकें और पांडुलिपियां, जिनमें संपूर्ण सृष्टि की काल गणना से लेकर भूत, वर्तमान और भविष्य की काल गणनाएं वर्णित हैं, जिन्हें धार्मिक कर्म कांडों परंपराओं, जप तप व्रत, त्योहारों, उत्सवों कथा कहानियों स्मृतियों इत्यादि के माध्यम से जन-जन को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रतिष्ठित किया गया है, जो पूर्ण रूप से सत्य है तथा उसके मूल में विज्ञान ही है सनातन संस्कृति का ज्ञान पूर्णतः विज्ञान पर आधारित विस्तृत विषय है।
सनातन संस्कृति का मुख्य आधार 4 प्रमुख ग्रंथ वेद हैं, वेदों में इस संपूर्ण सृष्टि का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष ज्ञान अतुलनीय है। सृष्टि के उदय होने से लेकर उसके विस्मरण के तक का उल्लेख है। इसके अलावा अन्य सभी ग्रन्थ, श्रुतियां, स्मृतियां काव्य, महाकाव्य एवं धार्मिक पुस्तके संपूर्ण सृष्टि एवं मानव सभ्यता के विभिन्न काल खंडों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष घटित घटनाओं का इतिहास बताते हैं और एक आदर्श मानव जीवन को प्रतिष्ठित और संरक्षित करते हैं। ये सभी पूर्णतः वैज्ञानिक और पूर्ण रूप से व्यवहारिक भी हैं। इन नियमों सिद्धांतों पर आज विभिन्न विषय के विद्वान, वैज्ञानिक अपने शोध करके उसके सत्य को सामने लाते रहते हैं, जिन्हें आज विभिन्न संचार के माध्यमों पुस्तकों, समाचार पत्रों और मैगजीनों में छपे लेखों और सोशल मीडिया प्लेट फार्मों के माध्यमों से हम अवगत होते रहते हैं, सनातन संस्कृति का ज्ञान सत्य ज्ञान है।
सनातन संस्कृति कोई संस्कृति या धर्म नहीं, बल्कि सत्य संस्कृति और सत्य धर्म ही है, जो सरल और शाश्वत है, जिस प्रकार सत्य को आप जिस स्थिति से परखेंगे तो सत्य वास्तव में सत्य ही रहता है। देश काल पारिस्थितिकीय परिवर्तन से सत्य परिवर्तित नहीं होता है, उसी प्रकार सनातन संस्कृति का ज्ञान सृष्टि के सत्य स्वरूप में है, उसका सत्य का यह रूप ही उसे सनातन किए हुए है। सत्य ही सनातन से तात्पर्य, सत्य अपने मूल भाव को नहीं छोड़ता है।
वह जितना भी प्राचीन हो, आज सनातन को इसीलिए सभी धर्मों, संप्रदायों और परंपराओं की जननी भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह प्राचीन काल से ही सत्य सिद्धांतों पर आधारित है और अनंत काल तक इसके सिद्धांत सत्य ही रहेंगे, क्योंकि यह किसी धर्म सभ्यता और संप्रदाय पंथ के लिए न होकर संपूर्ण मानव के कल्याण एवं उन्हें बिना भेदभाव के सुंदर और व्यवस्थित जीवन जीने के लिए है। लेखक-मोहन सिंह बिष्ट वरिष्ठ समाजसेवी
