मां छिन्नमस्ता मंदिर, रजरप्पा में आस्था और पर्यटन का संगम, सर्दियों में उमड़ रही भक्तों-पर्यटकों की भीड़

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Published By Muskan Dixit
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रांची। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर रामगढ़ जिले के रजरप्पा में स्थित माँ छिन्नमस्ता मंदिर न केवल एक प्रख्यात सिद्ध पीठ है, बल्कि यह राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में भी शुमार है। आस्था और प्रकृति का अनूठा संगम होने के कारण यहाँ आने वाले श्रद्धालु "एक पंथ दो काज" का अनुभव करते हैं-पूजा-पाठ के साथ-साथ पिकनिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद। दिसंबर माह की शुरुआत के साथ ही माँ छिन्नमस्ता मंदिर में श्रद्धालुओं और सैलानियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

रांची से 70 किलोमीटर और रामगढ़ जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल नववर्ष और शीतकालीन अवकाश के दौरान खासा आकर्षण का केंद्र बन जाता है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक पहुंचते हैं और दामोदर एवं भैरवी नदी के संगम पर नौका विहार का आनंद लेते हैं। मंदिर परिसर में स्थित दामोदर-भैरवी संगम स्थल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है। कल-कल बहती नदियों के बीच नौका विहार करते हुए लोग प्रकृति के मनोरम दृश्य का भरपूर आनंद उठाते हैं। परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते हैं। मां छिन्नमस्ता मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित गर्म जल कुंड भी श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करता है।

स्थानीय मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से चर्म रोग जैसी बीमारियों से राहत मिलती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जल में फॉस्फोरस की अधिक मात्रा होने के कारण त्वचा संबंधी रोगों में लाभ बताया जाता है, जिससे यहां स्नान करने वालों की संख्या काफी अधिक रहती है। रजरप्पा आवासीय कॉलोनी से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित बाह्मनधारा तट भी पिकनिक के लिए प्रसिद्ध है। आसपास के ग्रामीण इलाकों और कॉलोनी से लोग बड़ी संख्या में यहाँ पहुँचते हैं, जिससे इस क्षेत्र में हमेशा रौनक बनी रहती है। इन दिनों रजरप्पा की खूबसूरत वादियों में भोजपुरी और नागपुरी फिल्मों की शूटिंग भी हो रही है, जिससे इस क्षेत्र की लोकप्रियता और बढ़ गई है। माँ छिन्नमस्ता मंदिर न्यास समिति के पदाधिकारियों के अनुसार, नववर्ष के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इसे देखते हुए मंदिर परिसर में विशेष साफ-सफाई और व्यवस्थाएं की जा रही हैं। व

हीं प्रशासन भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से मुस्तैद है, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। हालांकि यह क्षेत्र हाथियों के विचरण के लिए जाना जाता है, लेकिन बीते एक माह में रामगढ़ और बोकारो जिलों में हाथियों के हमलों में छह लोगों की मौत से लोगों में दहशत है। प्रशासन द्वारा इस पर भी सतर्क नजर रखी जा रही है। कुल मिलाकर, माँ छिन्नमस्ता मंदिर रजरप्पा आस्था, पर्यटन और प्रकृति का ऐसा संगम है, जो हर साल हजारों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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