ISRO के 'बाहुबली' ने मचाया धमाल,  अमेरिकी सैटेलाइट 'ब्लूबर्ड ब्लॉक-2' को अंतरिक्ष में पहुंचाया, जानें क्या बोले चीफ

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Published By Muskan Dixit
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारत के भारी प्रक्षेपण रॉकेट एलएमवी3 ने बुधवार सुबह अमेरिकी अमेरिकी संचार उपग्रह ब्लू बर्ड 6 को सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर दिया। लगभग 6.1 टन वजनी ब्लू बर्ड 6 उपग्रह अमेरिका की नैस्डैक में सूचीबद्व उपग्रह संचार कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल का है। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इसके सफल प्रक्षेपण के बाद कहा "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि एलएमवी3 ने ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 अमेरिकी उपग्रह को सफलतापूर्वक और सटीक रूप से निश्चित कक्षा में स्थापित कर दिया है।" 

इसके सभी मानकों ने अच्छा प्रदर्शन किया और यह 52 दिनों के कम समय में दूसरा एलएमवी3 मिशन है। उन्होंने मिशन की सफलता के लिए इसरो की पूरी टीम को धन्यवाद दिया। सुबह 8.55 बजे, 43.5 मीटर लंबा और 640 टन वजनी एलएमवी3 रॉकेट ब्लू बर्ड 6 को लेकर सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी) रॉकेट पोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया। रॉकेट एक तेज, गहरी गड़गड़ाहट के साथ आसमान की ओर बढ़ने लगा और घनी नारंगी लौ के साथ एक सर्पाकार जैसी लंबी और मोटी सफेद धुएं की लकीर छोड़ रहा था। मिशन कंट्रोल सेंटर में इसरो के वैज्ञानिक अपनी कंप्यूटर स्क्रीन पर रॉकेट की ऊपर की उड़ान और इससे संबंधित डेटा को दिल थाम कर देख देख रहे थे।

एलएमवी3(पहले जीएसएलवी एम3) को 'बाहुबली' के नाम से जाना जाता है। सफल फिल्म बाहुबली में, अच्छी कद-काठी वाला अभिनेता आसानी से एक भारी शिवलिंग उठा लेता है। इसी तरह एलएमवी3 वर्तमान में भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण रॉकेट है। अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद एलएमवी3 ने ब्लू बर्ड 6 को तय कक्षा में छोड़ दिया। इस सफल प्रक्षेपण के साथ एलएमवी3 रॉकेट ने लगातार आठ सफल मिशनों का अपना शानदार रिकॉर्ड बनाए रखा है। 
एलएमवी3 तीन-स्टेज वाला एक रॉकेट है जिसमें दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन मोटर ,एक लिक्विड कोर स्टेज और एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज शामिल हैं। यह दीर्घ वृताकार कक्षा(जीटीओ) में लगभग चार टन और निचली कक्षा में 10 टन तक वजन ले जा सकता है। इसरो अपनी जीटीओ क्षमता को पांच टन तक बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। लगभग 6.5 टन का ब्लू बर्ड 6 एलएमवी3 द्वारा निचली कक्षा में स्थापित किया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है जिसकी वर्तमान में प्रक्षेपण सफलता दर 100 प्रतिशत है। ब्लू बर्ड 6 एएसटी स्पेसमोबाइल के अगली पीढ़ी के उपग्रह बेडे की शुरुआत है। कंपनी ने कहा कि एक बार कक्षा में स्थापित होने के बाद, इसमें सबसे बड़ा कमर्शियल फेज़्ड एरे होगा, जो लगभग 2,400 वर्ग फुट में फैला होगा जो इसके पिछले मॉडल, ब्लू बर्ड्स 1-5 की तुलना में 3.5 गुना ज़्यादा है - और 10 गुना ज़्यादा डेटा क्षमता देगा। एएसटी स्पेसमोबाइल एक ऐसा नेटवर्क विकसित कर रही है जिसे वह दुनिया का पहला और एकमात्र अंतरिक्ष आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क कहती है। इसे कमर्शियल और सरकारी उपभोक्ताओं के लिए रोज़मर्रा के स्मार्टफोन से सीधे संपर्क सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

एएसटी स्पेसमोबाइल के संस्थापक अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एबेल एवेलन के मुताबिक, "हमारे अगली पीढ़ी के उपग्रह जल्द ही अंतरिक्ष से रोज़मर्रा के स्मार्टफोन पर सीधे हर स्थान पर सेलुलर ब्रॉडबैंड कवरेज को संभव बनाएंगे। एक अमेरिकी कंपनी के तौर पर हमें अंतरिक्ष नवाचार में अमेरिकी अगुवाई में प्रदर्शन करने पर गर्व है और इसके साथ ही हम वैश्विक संपर्क के अगले युग की शुरुआत कर रहे हैं।" 

कंपनी अपने उत्पादन में तेजी ला रही है और कंपनी को उम्मीद है कि 2026 की पहली तिमाही के अंत तक पांच और ऑर्बिटल लॉन्च होंगे जो स्पेसएक्स रॉकेट द्वारा लॉन्च किए जाएंगे। कंपनी ने कहा कि उपग्रह प्रक्षेपण एक से दो महीने के अंतराल पर होंगे, जिसका लक्ष्य 2026 के अंत तक कक्षा में 45-60 उपग्रह पहुंचाना है ताकि अमेरिका और चुनिंदा बाज़ारों में लगातार कवरेज मिल सके। एएसटी स्पेसमोबाइल में लगभग 1,800 कर्मचारियों का एक वैश्विक कार्यबल है जिनमें से ज़्यादातर अमेरिका में हैं। भारत के अंतरिक्ष विभाग की कमर्शियल शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के माध्यम से ब्लू बर्ड 6 प्रक्षेपण संबंधी समझौता किया गया था। एएसटी स्पेसमोबाइल,यूटेजसेट वनवेब के बाद एलएमवी3 पर उड़ान भरने वाला दूसरा उपग्रह ब्रॉडबैंड उपभोक्ता होगा, जिसने 2022 और 2023 में दो एलएमवी3 मिशन का इस्तेमाल करके 72 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। 

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