विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक नियोजन की रीढ़ है गणित... लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित IMS का 91 वां वार्षिक सम्मेलन
एआई, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और राष्ट्रीय सुरक्षा में बढ़ रहा गणित का प्रयोग
लखनऊ, अमृत विचार: गणित विषय का प्रयोग अब विज्ञान से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीकों में होने लगा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर आर्थिक नियोजन की रीढ़ गणित विषय बनता जा रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय गणितीय सोसाइटी के 91 वें वार्षिक सम्मेलन में देश-विदेश से आए गणित के विशेषज्ञों ने इसे एकमत से स्वीकार किया। सम्मेलन में इस बार रिकार्ड 320 से अधिक सारांश प्राप्त हुए हैं। जिससे विश्वविद्यालय के गणित शिक्षक उत्साहित हैं।
विश्वविद्यालय के गणित व खगोल विज्ञान विभाग में विश्वविख्यात गणितज्ञों ने विकसित भारत में गणित के योगदान पर विचार रखे। प्रो. जीपी राजशेखर ने बताया कि इस बार सम्मेलन को अत्यधिक उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। प्रो. दिपेन्द्र प्रसाद ने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का प्रसार करना, शैक्षणिक संवाद को बढ़ावा देना और विश्वभर के गणितज्ञों को एक मंच पर लाकर विचारों का आदान-प्रदान तथा उभरती शोध चुनौतियों पर सहयोग करना है।
राष्ट्रीय विकास में गणित की महत्वपूर्ण भूमिका
भारतीय गणितीय सोसाइटी के अध्यक्ष, पूर्व कुलपति, नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग के प्रो. एसएस खरे ने राष्ट्रीय विकास में गणितीय विज्ञान की प्रासंगिकता, वर्तमान स्थिति, गणित भय और उसके निवारण की रणनीतियां विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गणितीय विज्ञान आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार के रणनीतिक साधन बन चुके हैं, विशेषकर तब जब भारत वैश्विक ज्ञान केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है।
आज होंगी शोध प्रस्तुतियां
आज सम्मेलन में प्लेनरी व्याख्यान, आमंत्रित व्याख्यान, पुरस्कार व्याख्यान और समानांतर तकनीकी सत्र होंगे। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में शोध-पत्र प्रस्तुतियां भी होंगी, जिससे प्रतिभागियों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान और सहयोग और अधिक सुदृढ़ होगा।
