भारत के शौर्य प्रतीकों में शामिल होंगी तुलसीपुर की रानी ईश्वरी देवी, पीएम मोदी करेंगे राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल का उद्घाटन

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Published By Muskan Dixit
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बलरामपुर, अमृत विचार: 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की गुमनाम वीरांगना तुलसीपुर की रानी ईश्वरी देवी अब देश के शौर्य प्रतीकों में सम्मानित स्थान प्राप्त करेंगी। उनकी वीर गाथा को लखनऊ स्थित राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल में शामिल किया गया है, जिसका उद्घाटन 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लखनऊ में किया जाएगा। इससे क्षेत्र में गर्व और उत्साह का माहौल है।

इतिहासकारों के अनुसार रानी ईश्वरी देवी, जिन्हें तुलसीपुर की झांसी की रानी भी कहा जाता है, ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ साहसिक संघर्ष किया। अनुचित लगान व अंग्रेजी अत्याचार के विरोध में तुलसीपुर की जनता उनके साथ खड़ी हुई। विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने उनके पति राजा दृग नारायण सिंह को बंदी बनाकर हत्या कर दी, जिसके बाद रानी ने अपने ढाई वर्ष के मासूम बच्चे को पीठ पर बांधकर अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। उन्होंने बेगम हजरत महल, नाना साहब व अन्य क्रांतिकारियों को भी शरण दी और जंगलों में रहकर संघर्ष जारी रखा।

मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने इसे देवी पाटन मंडल के लिए गौरव का क्षण बताते हुए रानी ईश्वरी देवी पर शोध कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। वहीं बलरामपुर फर्स्ट के संयोजक सर्वेश सिंह ने तुलसीपुर में रानी की प्रतिमा स्थापित करने का आह्वान किया, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके शौर्य और बलिदान से प्रेरणा ले सकें।

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