महाराजगंज मॉडल से सपा को चुनौती देंगे पंकज चौधरी, UP की राजनीति में ‘चाणक्य’ की भूमिका निभाने वाला नेता हो सकते साबित

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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हरिशंकर तिवारी, वीरेंद्र शाही, अखिलेश सिंह व हर्षवर्धन जैसे दिग्गजों को दे चुके हैं मात

राज्य ब्यूरो, लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश की राजनीति में भाजपा ने संगठन की कमान ऐसे नेता को सौंपी है, जिसने चुनावी शतरंज पर बार-बार यह साबित किया है कि सत्ता किसी की भी हो, ‘किंग’ वही बनेगा, जिसे वह चाहें। भाजपा उसी महाराजगंज मॉडल को प्रदेश स्तर पर उतारकर समाजवादी पार्टी को सीधी चुनौती देने की तैयारी में है। लेकिन पंकज चौधरी को महाराजगंज से आगे निकल कर पूरे प्रदेश की राजनीति में ‘चाणक्य’ की भूमिका वाला नेता साबित करना बड़ी चुनौती होगी।

पंकज चौधरी का राजनीतिक कद इस बात से ही समझा जा सकता है कि उन्होंने हरिशंकर तिवारी, वीरेंद्र शाही, अखिलेश सिंह और हर्षवर्धन जैसे पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव में पराजित किया है। पूर्वांचल की राजनीति में जिन नामों के सामने चुनाव लड़ने से नेता कतराते रहे, पंकज चौधरी ने उन्हीं को रणनीति और सामाजिक संतुलन के दम पर मात दी।

जिला पंचायत चुनावों में पंकज चौधरी की सियासी पकड़ सबसे ज्यादा चर्चा में रही है। प्रदेश में सत्ता बसपा, सपा और भाजपा के बीच बदलती रही, लेकिन उनके गृह जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा का कब्जा आज तक बना हुआ है। जिला पंचायत के गठन के बाद पहली बार पंकज चौधरी के भाई प्रदीप चौधरी अध्यक्ष बने।

इसके बाद दो बार उनकी मां उज्जवला चौधरी ने जीत दर्ज कीं। वर्ष 2010 में जब जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट का आरक्षण बदला और प्रदेश में बसपा की सरकार थी, तब भी पंकज चौधरी की राजनीतिक गणित ने भाजपा को जीत दिलाई। धर्मा देवी को अध्यक्ष बनाकर उन्होंने यह साबित किया कि सत्ता बदलने से समीकरण नहीं बदलते।

इसके बाद वर्ष 2015 में, सपा सरकार के दौर में, पंकज चौधरी ने शह-मात के जोड़-तोड़ से प्रभुदयाल चौहान को जितवाकर पूरे प्रदेश में भाजपा की इकलौती जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट अपने खाते में डाली। यहीं से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में पंकज चौधरी की ‘चाणक्य नीति’ की चर्चा शुरू हुई।

वर्ष 2020 में भाजपा के रविकांत पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष बने और यह सीट अब तक पूरी तरह भाजपामय बनी हुई है। यह सिलसिला महाराजगंज की राजनीति को भाजपा के लिए मॉडल बना चुका है, जिसे अब प्रदेश स्तर पर लागू करने की तैयारी है। विधानसभा चुनावों में भी पंकज चौधरी का प्रभाव साफ नजर आता है।

वर्ष 2017 में उनके प्रभाव क्षेत्र की पांच में से चार सीटों पनियरा, सदर, फरेंदा और सिसवा पर भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि नौतनवा सीट पर निर्दल अमनमणि त्रिपाठी विजयी हुए। वर्ष 2022 में भी भाजपा ने पांच में से चार सीटें जीतीं, हालांकि फरेंदा सीट पर हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पहली बार भाजपा गठबंधन ने नौतनवा सीट पर जीत का स्वाद चखा।

राजनीतिक आंकड़ों की जादूगरी में माहिर पंकज चौधरी को भाजपा की कमान सौंपकर पार्टी ने साफ संकेत दिया है कि 2027 की लड़ाई में सपा को उसी रणनीति से घेरा जाएगा, जिससे महाराजगंज में विपक्ष हाशिये पर चला गया। पिछड़े वर्ग के बड़े वोट बैंक, स्थानीय नेतृत्व और सटीक सामाजिक संतुलन के सहारे भाजपा प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुट गई है।

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