धर्मांतरण प्रकरण में सख्ती: केजीएमयू में आंतरिक कमेटी करेगी जांच, महिला आयोग की अध्यक्ष ने अधिकारियों के साथ की बैठक
लखनऊ, अमृत विचार : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में धर्मांतरण मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबिता सिंह चौहान ने केजीएमयू प्रशासन को निर्देश दिए कि विश्वविद्यालय के सभी विभागों, इकाइयों और संबद्ध संस्थानों में यदि इस प्रकार के अन्य मामले लंबित, अप्रतिवेदित या संदेहास्पद हों, तो उनकी तत्काल आंतरिक जांच के लिए समिति गठित की जाए। जांच समिति को निर्धारित समय-सीमा में विस्तृत रिपोर्ट राज्य महिला आयोग को सौंपनी होगी। निर्देशों की अवहेलना पर संबन्धित के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
महिला की आयोग की अध्यक्ष ने यह जानकारी केजीएमयू की कुलपति कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक के बाद रविवार को दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की नीति छल, दबाव या प्रलोभन के माध्यम से किए गए धर्मांतरण के मामलों में शून्य सहनशीलता (जीरो टॉलरेंस) पर आधारित है। राज्य सरकार और महिला आयोग महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों, गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। डॉ. बबिता सिंह चौहान ने दोहराया कि महिलाओं के विरुद्ध अपराध या गैरकानूनी गतिविधियों के मामलों में कानून के तहत सख्त कार्रवाई के साथ सतत निगरानी जारी रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद यदि किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता प्रमाणित होती है, तो उसके विरुद्ध कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रकरण में पद, प्रभाव या किसी प्रकार के संरक्षण के आधार पर किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी।
अध्यक्षा ने यह भी बताया कि प्रकरण की जांच विशाखा कमेटी के प्रावधानों के अंतर्गत प्रक्रियाधीन है। मामले में संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और सक्षम पुलिस अधिकारी की ओर से बीएनएस सहित अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत विधिक कार्रवाई की जा रही है।
