आपदा प्रबन्धन के लिये योजनाबद्ध और प्रशिक्षित प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करना जरूरी : डीजीपी
लखनऊ/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा ने कहा कि अब आपदा प्रबंधन केवल घटना के बाद प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रह सकता। इसके लिए पूर्वानुमान आधारित, योजनाबद्ध और प्रशिक्षित प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभाग अपनी-अपनी तैयारियां करते हैं, लेकिन आपात स्थिति में इन सभी को एकीकृत, समन्वित और समयबद्ध प्रतिक्रिया में बदलना सबसे अहम है।
सोमवार को आगामी माघ मेला की तैयारियों के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूपीएसडीएमए) द्वारा प्रयागराज में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी एवं टेबल-टॉप एक्सरसाइज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राजीव कृष्ण, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहभागिता की।
संगोष्ठी का शुभारंभ उत्तर प्रदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन योगेन्द्र डिमरी, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के संबोधन से हुआ। इस अवसर पर माघ मेला के दौरान भीड़ के प्रभावी व्यवस्थापन, डूबने की घटनाओं की रोकथाम, शीत लहर तथा अग्नि दुर्घटनाओं से निपटने की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई। कृष्ण ने प्रमुख वक्ता के रूप में अपने संबोधन में कहा कि कुंभ और माघ मेला विश्व के सबसे बड़े पब्लिक गैदरिंग इवेंट में शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इन आयोजनों में कुछ ऐसे दिन होते हैं, जब एक ही समय और स्थान पर श्रद्धालुओं की संख्या अत्यंत विशाल हो जाती है। चुनौती केवल भीड़ की संख्या नहीं, बल्कि उसकी निरंतर बदलती और गतिशील प्रकृति भी होती है। उन्होंने बताया कि उच्च घनत्व वाली भीड़, नदी से जुड़े जोखिम, शीत लहर का प्रभाव, अग्नि दुर्घटनाओं की आशंका तथा परिवहन, ट्रैफिक और पार्किंग जैसी समस्याएँ एक साथ उत्पन्न होती हैं, जिनसे निपटने के लिए समग्र और बहुआयामी रणनीति आवश्यक है।
डीजीपी ने माघ मेले की सफलता के लिए प्रवेश-निकास मार्गों की वैज्ञानिक योजना, स्नान घाटों पर भीड़ की संतुलित आवाजाही और माइक्रो-क्राउड की निरंतर निगरानी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होने कहा कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) अब केवल एक बैक-अप बल नहीं रहा, बल्कि भीड़ सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की ऑपरेशनल व्यवस्था का अभिन्न अंग बन चुका है।
पूर्व आयोजनों में एसडीआरएफ ने उच्च स्तर की दक्षता और पेशेवर क्षमता का प्रदर्शन किया है। अग्नि दुर्घटना, शीत लहर और डूबने जैसी घटनाओं पर चर्चा करते हुए डीजीपी ने विभागों के बीच सतत समन्वय, प्रभावी संचार और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि पूर्व अनुभव होने के बावजूद किसी भी स्तर पर आत्मसंतोष या शिथिलता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हर दिन नई परिस्थितियाँ और नई चुनौतियाँ सामने आती हैं।
संगोष्ठी के दौरान पी. एस. शेखावत, जीओसी मध्य भारत, जबलपुर, अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज जोन संजिव गुप्ता, मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल, परियोजना समन्वयक (प्रशिक्षण) यूपी एसडीएमए प्रवीण किशोर, सीएफओ माघ मेला प्रयागराज अनिमेष सिंह, एनडीआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रयागराज, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, गोरखपुर और वाराणसी के डीडीएमए अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। अंत में पुलिस महानिदेशक ने विश्वास जताया कि इस तरह की संगोष्ठियाँ और टेबल-टॉप एक्सरसाइज प्रशासन व पुलिस की तैयारियों को और सुदृढ़ करेंगी तथा आगामी माघ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और विश्वास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
