कानपुर : न्यूजीलैंड से निर्यात 450 करोड़ पहुंच सकेगा, एफटीए होने के बाद कई सेक्टर की पहुंच हो सकेगी आसान
कानपुर, अमृत विचार। न्यूजीलैंड के साथ भारत के साथ हुए एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रिमेंट) शहर के निर्यात को भी बढ़ाएगी। निर्यात विशेषज्ञों का मानना है कि इस एफटीए से न्यूजीलैंड के साथ शहर के निर्यात कारोबार में करीब 50 फीसदी ग्रोथ देखने को मिलेगी। यह बढ़ोतरी सिर्फ एक साल में ही संभव हो सकेगी।
टैरिफ के बाद नया बाजार तलाश रहे निर्यातकों को यह एफटीए बढ़ी हुई मांग के रूप में मुनाफा देने वाला है। यह समझौता अप्रैल के आस-पास प्रभावी होना माना जा रहा है। भारत का हाल ही में ओमान के साथ लगातार एक सप्ताह में यह दूसरा एफटीए हैं। शहर से न्यूजीलैंड से होने वाला निर्यात कारोबार लगभग 3 सौ करोड़ रुपये के आस-पास का है। इस समझौते के होने के बाद यह एक वर्ष के भीतर ही लगभग 450 करोड़ रुपये का होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
शहर से न्यूजीलैंड में सेडलेरी, फुटवेयर कंपोनेंट, प्लास्टिक, रेडीमेड गारमेंट, टैक्सटाइल सहित अन्य उत्पाद जाते हैं। नए समझौते के तहत सौ फीसदी उत्पादों को शामिल किया गया है। इससे अब शहर से अन्य नए उत्पाद भी न्यूजीलैंड जा सकेंगे। इनमें सबसे प्रमुख्ता के साथ प्रोसेस्ड फूड को माना जा रहा है।
इसके अलावा न्यूजीलैंड में भारतीय लोगों की संख्या अधिक होने के चलते शहर से मसालों का भी निर्यात बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है। नए एफटीए पर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑग्रनाइजेशन के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि भारत और न्यूजीलैंड ने रिकॉर्ड नौ महीनों में एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
भारत-एनजेडएफटीए निर्यात के सौ फीसदी पर शून्य शुल्क सुनिश्चित करेगा, जिसमें सभी टैरिफ लाइनों में टैरिफ समाप्त हो जाएगा। यह कपड़ा, परिधान, चमड़ा और जूते जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों के लिए अपार अवसर प्रदान करेगा। इंजीनियरिंग और विनिर्माण, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे क्षेत्रों को भी समझौते से लाभ होगा।
एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा
नए समझौते से बढ़ने वाली उत्पादों की डीमांड से शहर के एमएसएमई सेक्टर को भी फायदा होने की उम्मींद जताई जा रही है। इसकी वजह पैकेजिंग, मैन्युफैक्चिरिंग व कैमिकल का काम करने वाली युनिट्स को निर्यातकों के ऑर्डर के सापेक्ष अधिक काम मिलना है। इसके अलावा निर्यात विशेषज्ञ इस समझौते के तहत शहर के कामगारों को भी अधिक काम मिलने की बात कह रहे हैं।
उद्योग पर भी असर
अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के बाद निर्यातक अमेरिका जैसी बड़ी बाजार में टैक्स अधिक होने से पिछड़ गए। ऐसे में निर्यातकों के ऑर्डर कम होेन का असर शहर की इंडस्ट्रियल युनिट्स पर भी पड़ा है। अब एक के बाद एक दो समझौते होने के बाद इसका सीधा सकारात्कम असर शहर के उद्योगों पर भी पड़ेगा। माना जा रहा है कि टैरिफ के बाद कमजोर हुए उत्पादन में 5 फीसदी का इजाफा संभव हो सकता है।
3 सौ करोड़ का निर्यात न्यूजीलैंड को होता है
150 करोड़ रुपये का निर्यात बढ़ने की उम्मींद
05 फीसदी उत्पादन में हो सकेगी बढोतरी
50 फीसदी न्यूजीलैंड के निर्यात में बढ़ोतरी।
