एंटोनियो गुटेरेस ने कहा- कोविड-19 महामारी के दौरान यौन हिंसा में हुई बढ़ोतरी

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संयुक्त राष्ट्र। कोविड-19 महामारी के कारण पिछले वर्ष लिंग आधारित हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई और कई देशों में यौन हिंसा को ‘‘युद्ध की क्रूर युक्ति’’ एवं राजनीतिक दमन के तौर पर इस्तेमाल किया गया। यह बात सोमवार को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एक रिपोर्ट जारी कर कही। रिपोर्ट में 18 देशों का जिक्र है …

संयुक्त राष्ट्र। कोविड-19 महामारी के कारण पिछले वर्ष लिंग आधारित हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई और कई देशों में यौन हिंसा को ‘‘युद्ध की क्रूर युक्ति’’ एवं राजनीतिक दमन के तौर पर इस्तेमाल किया गया। यह बात सोमवार को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एक रिपोर्ट जारी कर कही।

रिपोर्ट में 18 देशों का जिक्र है जहां के बारे में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसे सत्यापित सूचना प्राप्त हुई। इसमें 52 पक्षों का जिक्र है जिन पर हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में ‘‘बलात्कार या यौन हिंसा के अन्य प्रारूप’’ का इस्तेमाल करने का ‘‘ठोस संदेह’’ है। इसमें कहा गया है कि 70 फीसदी से अधिक सूचीबद्ध पक्ष ‘‘सतत षड्यंत्रकारी हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में शामिल अधिकतर पक्ष ‘‘राज्येतर तत्व’’ हैं, जिनमें इस्लामिक स्टेट या अल-कायदा आतंकवादी संगठनों से जुड़े चरमपंथी समूह, बागी या विपक्षी शामिल हैं। इस सूची में शामिल राष्ट्रीय सेना या पुलिस बलों को तब तक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में शामिल होने से रोक दिया गया है जब तक कि वे हिंसा खत्म करने के लिए समयबद्ध प्रतिबद्धताएं नहीं अपनाते हैं। इसमें म्यांमा की सेना और सीमावर्ती गार्ड शामिल हैं।

‘‘काली सूची’’ में कांगो और दक्षिण सूडान की सरकार एवं पुलिस बल; सीरिया में सरकारी बल और खुफिया सेवाएं; सूडान में सशस्त्र बल एवं त्वरित समर्थन बल, सोमाली में सेना और पुलिस और पुंटलैंड क्षेत्र के सुरक्षा बल शामिल हैं। राज्येतर तत्वों वाले देशों में कांगो के 20 समूह; सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के छह समूह; माली के पांच समूह; दक्षिण सूडान और सीरिया के चार-चार समूह; सूडान के दो समूह; इराक और सोमालिया तथा उसके एक-एक समूह शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘‘यौन हिंसा को युद्ध की युक्ति के तौर पर इस्तेमाल किया गया, उत्पीड़न एवं आतंकवाद के माध्यम से मानवाधिकारों एवं सुरक्षा को खतरा पैदा किया गया तथा सैन्यीकरण एवं हथियारों का अंधाधुंध इस्तेमाल हुआ।’’ गुतारेस ने कहा कि इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में नवंबर में सरकार और टीगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के बीच संघर्ष छिड़ गया जिसमें 100 से अधिक बलात्कार के मामलों के आरोप हैं।

गुतारेस ने कहा कि म्यांमा के सशस्त्र जातीय संघर्ष में भी यौन हिंसा की खबरें हैं। उन्होंने राखाइन, चिन और शान राज्यों में तातामडाव सुरक्षा बलों ओर जातीय बागी समूहों के यौन हिंसा में लिप्त होने की बात कही। रिपोर्ट में 2020 की घटनाएं शामिल हैं जो दो फरवरी को म्यांमा की सरकार पर सेना के काबिज होने से पहले की हैं।

महासचिव ने कहा कि कोविड-19 महामारी से जुड़ी आवाजाही की पाबंदियों एवं सीमित आर्थिक अवसर के कारण भी ‘‘महिलाओं की तस्करी एवं यौन हिंसा का खतरा बढ़ा।’’ उन्होंने कहा कि महामारी के कारण इराक, सीरिया और यमन में बाल विवाह की घटनाएं बढ़ीं।

गुतारेस ने कहा कि पश्चिमी अफ्रीकी देश कैमरून में फरवरी 2020 में अलगाववादियों के खिलाफ सेना के अभियान के दौरान 24 महिलाओं से बलात्कार हुआ और इस घटना का जुलाई तक खुलासा नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘बुरूंडी में विपक्षी दलों की महिलाओं को चुनाव के दौरान धमकाया गया और मनमाने तरीके से हिरासत में रखा गया।’’

महासचिव ने कहा कि इसी तरह सूडान में किसानों और गड़ेरियों के बीच संघर्ष के दौरान बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हुईं। गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि यौन हिंसा पीड़ितों का सहयोग एवं पुनर्वास किया जा सके।

 

 

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