‘वर्क फ्रॉम होम’ ठीक, पर कर्मचारियों को ‘हाइब्रिड’ मॉडल ज्यादा पसंद

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संजय सिंह, नई दिल्ली। महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित कंपनियों के ज्यादातर कर्मचारी कोरोना के कारण पैदा हुई वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति से संतुष्ट हैं और इससे उनकी उत्पादकता में भी कमोबेश इजाफा हुआ है। लेकिन साथ ही उनका कहना है कि सामान्य दिनों में वे वर्क फ्रॉम होम के बजाय घर और कार्यालय के …

संजय सिंह, नई दिल्ली। महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित कंपनियों के ज्यादातर कर्मचारी कोरोना के कारण पैदा हुई वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति से संतुष्ट हैं और इससे उनकी उत्पादकता में भी कमोबेश इजाफा हुआ है। लेकिन साथ ही उनका कहना है कि सामान्य दिनों में वे वर्क फ्रॉम होम के बजाय घर और कार्यालय के बीच संतुलन स्थापित करने वाली ऐसी मिलीजुली या हाइब्रिड कार्यसंस्कृति को प्राथमिकता देंगे, जिसमें कुछ दिन कार्यालय तो कुछ दिन घर से काम करने का लचीलापन हो।

मार्च, 2020 में कोरोना लाकडाउन के बाद कोविड-19 की दूसरी लहर उभरने पर कंपनियों को कामकाज के वर्चुअल तरीकों को फिर से अपनाना पड़ा है। ज्यादातर कंपनियों ने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की छूट दी है। लेकिन क्या इससे कर्मचारी संतुष्ट हैं? क्या उन्हें समय की बचत के साथ काम को बेहतर करने में मदद मिली है? और क्या कर्मचारी इस कार्यशैली को आगे भी जारी रखने और कंपनियां उसे स्वीकार करने को तैयार हैं?

इन सवालों का जवाब पाने के लिए देश की सबसे बड़ी साधारण बीमा कंपनी आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण कराया है। इसमें छोटे-बड़े शहरों में सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, ई-कॉमर्स और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे विविध उद्योगों से संबंधित कंपनियों में काम करने वाले 1000 से अधिक कर्मचारियों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निकल कर सामने आए हैं जिन पर ध्यान देकर कंपनियां भविष्य में न केवल बेहतर कारोबार कर ज्यादा मुनाफा कमा सकती हैं, बल्कि कर्मचारियों की संतुष्टि के साथ प्रतिभाशाली कर्मचारियों का पलायन रोकने में भी सक्षम हो सकती हैं।

सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण निष्कर्ष
वर्क फ्रॉम होम /हाइब्रिड वर्किंग महानगरों में अधिक प्रचलित है। जबकि छोटे शहरों में अभी भी वर्क फ्रॉम आफिस का ही ज्यादा चलन है। -मार्च, 2020 के बाद से छोटे शहरों में 52 फीसद की तुलना में महानगरों में 70 फीसद कर्मचारी आंशिक या पूरी तरह घर से काम कर रहे हैं। वर्क फ्रॉम ऑफिस का प्राथमिक कारण कंपनियों का आदेश है। क्योंकि कंपनियां ये मानती हैं कि ऑफिस में कर्मचारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति से उत्पादकता बढ़ती है। लेकिन सर्वे के अनुसार ये दृष्टिकोण सही नहीं है।

वर्क फ्रॉम होम बेहतर
छोटे शहरों में 47 फीसद कर्मचारियों की तुलना में महानगरों में 71 फीसद कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम से कम या ज्यादा संतुष्ट थे।

उत्पादकता में सुधार
वर्क फ्रॉम होम के पक्ष में उत्साहजनक संकेत यह मिला है कि 70 फीसद से अधिक कर्मचारियों ने माना कि घर से काम करते समय उनकी उत्पादकता समान रही या उनमें सुधार हुआ। जबकि 35 फीसद कर्मचारियों का स्पष्ट रूप से कहना था था कि वर्क फ्रॉम होम के कारण उनकी उत्पादकता थोड़ी या उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। महानगरों के केवल 4 फीसद कर्मचारी व छोटे शहरों के 6 फीसद कर्मचारी ही वर्क फ़्रॉम होम से असंतुष्ट थे।

जरूरत आधारित काम के घंटे
औसतन 34 फीसद कर्मचारियों को परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए घर में समय देना पड़ता है। यह मुद्दा महिलाओं के लिए ज्यादा बड़ा है। सर्वेक्षण में 43 फीसद महिला कर्मचारियों ने घर से काम, जबकि 29 फीसद पुरुष कर्मचारियों में घर से काम को प्राथमिकता दी। ऐसे में कंपनियों को लिंग के आधार पर कर्मचारियों के लिए लचीला कार्य समय निर्धारित करने की आवश्यकता है।

वर्क फ्रॉम होम की अड़चने

अत्यधिक वीडियो कॉल
26 फीसद कर्मचारी बहुत अधिक वीडियो कॉल से परेशान थे। लिहाजा कंपनियों को काम करने के ऐसे तरीकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जिनमें कर्मचारी अपने सहयोगियों को उनके सुविधाजनक समय के अनुसार जवाब दे सकें।

छोटे घर में जगह की कमी
औसतन 36 फीसद कर्मचारियों को घर में जगह की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा। लेकिन ये समस्या छोटे शहरों में अधिक है। कॉम्पैक्ट फर्नीचर इस समस्या को कुछ हद तक कम कर सकता है।

हाइब्रिड मॉडल पसंद
सर्वेक्षण में शामिल प्रत्येक 3 में से 1 कर्मचारी ने हमेशा वर्क फ्रॉम ऑफिस के विकल्प का चुनाव किया। जबकि 16 फीसद ने हर समय वर्क फ्रॉम होम को प्राथमिकता दी। इसी तरह जो लोग हाइब्रिड वर्किंग पसंद करते हैं, उनमें से 41 फीसद ने सप्ताह में 3 दिन जबकि 25 फीसद ने 2 दिन ऑफिस से काम का चयन किया। लेकिन वर्क फ्रॉम ऑफिस और वर्क फ्रॉम होम के मिलेजुले हाइब्रिड मॉडल को सबसे ज्यादा 52 फीसद कर्मचारियों ने पसंद किया। लेकिन नए हाइब्रिड कार्यस्थल में भी 60 फीसद कर्मचारियों ने काम के कम घंटों की पैरवी की। जबकि 40 फीसद कर्मचारी जरूरत के अनुसार घंटों में लचीलेपन रखे जाने के पक्ष में थे।

इसी प्रकार 40 फीसद से ज्यादा कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम के दौरान भी चिकित्सा लाभ, जबकि 20 फीसद से ज्यादा पुरस्कार व मान्यता दिए जाने के पक्ष में थे।

वर्क फ्रॉम होम में नौकरी का डर
वर्क फ्रॉम होम में बेहतर उत्पादकता के बावजूद बड़े शहरों के 66 फीसद व छोटे शहरों के 52 फीसद कर्मचारियों को इस कारण नौकरी छूटने की आशंका है। ऐसे में सर्वे की कंपनियों को सलाह है कि डर भगाने व प्रतिभाओं को रोकने के लिए उन्हें सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। यदि कर्मचारी घर से पूरा और गुणवत्तापूर्ण कार्य करने का इच्छुक और सक्षम हो तो उस पर हमेशा कार्यालय आने का दबाव नहीं डालना चाहिए। आज के डिजिटल माहौल में कर्मचारियों को समयबद्ध ढंग से काम करना पसंद है। उन पर हर वक्त अनावश्यक निगरानी से लाभ के बजाय नुकसान संभव है।

वर्क फ्रॉम होम में बुनियादी सुविधाएं
वर्क फ्रॉम होम में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है। खासकर छोटे शहरों में जहां 48 फीसद कर्मचारियों को इस समस्या का सामना करना पड़ा। जबकि महानगरों में 39 फीसद कर्मचारी इस समस्या से पीड़ित दिखाई दिए।

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