बागेश्वर: खनन के बाद खाली पड़े गड्ढे बरसात में बने तालाब

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बागेश्वर, अमृत विचार। आसान तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में खड़िया खानों के लिए होड़ शुरू हो गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सात सालों में जिले में दो गुने से अधिक खड़िया खदानें खुल चुकी हैं। अगर सरकार इस तरह पहाड़ का सीना चीरती रही तो …

बागेश्वर, अमृत विचार। आसान तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में खड़िया खानों के लिए होड़ शुरू हो गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सात सालों में जिले में दो गुने से अधिक खड़िया खदानें खुल चुकी हैं। अगर सरकार इस तरह पहाड़ का सीना चीरती रही तो पहाड़ नहीं बचने वाले हैं। बरसात के इस मौसम में जिले की कई खड़िया खाने लबालब पानी से भरी हुई हैं और दुर्घटना को दावत दे रहें हैं। दूसरी ओर प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं होने से खड़िया खनन में मनमानी करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

बागेश्वर के पपों गांव स्थित खड़िया खदान स्वामी ने खड़िया खोदने के बाद गड्ढे खुले छोड़ दिए हैं। जिस पर अनुसूचित जाति के गरीब ग्रामीणों के घर भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। ग्रामीणों ने डीएम दरबार में कई बार मामला उठाया है। लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि खनन के बाद बने गड्ढों को खान मालिक ने भरा नहीं है जिससे गड्ढों में तालाब बन गए हैं।

घर आंगनों में दरार आ रही हैं। गड्ढों में पानी भरने से जमीन दरक रही है जिस पर पूरे गांव में भूस्खलन की आशंका बनी हुई है। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए गांव के लोग व्यथित हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार द्वारा उन्हें गांव में खड़िया से हुए नुकसान की भरपाई और टूटे हुए रास्तों व घरों की मरम्मत का आश्वासन दिया था जो कि वो भी पूरा नहीं किया गया।

ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द गड्ढों को भरवाने और ग्रामीणों की क्षतिग्रस्त सम्पति का मुआवजा दिलाने की मांग की है। पूर्व ग्राम प्रधान पुनीता टम्टा ने कहा कि प्रशासन द्वारा खान मालिकों के कार्यों की जांच नहीं की जा रही है जिससे उनके हौंसले बुलंद हैं। उन्होंने प्रशासन पपों गांव में हो रहे अवैध खनन रोकने व मानकों का पालन कराने की मांग की है।