बरेली: हक के लिए संघर्ष कर रहीं जिले की पहली राष्ट्रपति पुरस्कार प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन
बरेली, अमृत विचार। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त क्यारा ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर की प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन अपने हक के लिए लंबे समय से संषर्घ कर रही हैं। वे अगली वेतनवृद्धि के अनुरूप प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए अधिकारियों के दफ्तरों की भागदौड़ कर रही हैं लेकिन उनकी मांग निस्तारित नहीं की गई है। …
बरेली, अमृत विचार। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त क्यारा ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर की प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन अपने हक के लिए लंबे समय से संषर्घ कर रही हैं। वे अगली वेतनवृद्धि के अनुरूप प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए अधिकारियों के दफ्तरों की भागदौड़ कर रही हैं लेकिन उनकी मांग निस्तारित नहीं की गई है। उनके प्रार्थना पत्र पर कागजी कार्रवाई तो अधिकारी करते हैं लेकिन समस्या का हल नहीं निकल रहे हैं।
जिलाधिकारी से लेकर बीएसए, वित्त लेखाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों तक शिकायतें कीं। अधिकारी नियमों के तहत प्रोत्साहन राशि देने की बात करते हैं। जबकि शिक्षिका का कहना है कि नियमों के तहत अन्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को सही प्रोत्साहन राशि दी जा रही है लेकिन उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने एक बार फिर से बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिकायत की है।
प्रधानाध्यापिका शबीना परबीन ने बताया कि वह जिले की पहली महिला शिक्षिका हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के रूप में पिछली वेतनवृद्धि 1 जुलाई 2015 के बराबर 680 रुपये स्वीकृत की गई है। जबकि शासनादेश के अनुसार पुरस्कार प्राप्ति के बाद अगली वेतनवृद्धि 1 जुलाई 2016 के बराबर प्रोत्साहन राशि के रूप में 1800 रुपये मिलनी चाहिए। प्रोत्साहन धनराशि के लिए अगली वेतनवृद्धि की गणना शासनादेश के अनुसार पुरस्कार प्राप्ति के बाद होनी चाहिए न कि पुरस्कार वर्ष से। क्योंकि जब अध्यापक को पुरस्कार प्राप्त हो जाएगा तब ही वह अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
शासनादेश 15 अप्रैल 1981 के अनुसार पुरस्कार प्राप्त अध्यापकों को अगली वेतनवृद्धि के बराबर प्रोत्साहन धनराशि देने की व्यवस्था है। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार 5 सितंबर 2015 को प्राप्त हुआ। पुरस्कार प्राप्ति से पहले 1 जुलाई 2015 को मूल वेतन 22410 का 3 प्रतिशित यानि 680 रुपये पिछली वेतनवृद्धि के रूप में प्राप्त हुआ है।
जबकि पुरस्कार प्राप्ति 5 सितंबर 2015 के बाद अगली वेतनवृद्धि के रूप में 1 जुलाई 2016 को मूल वेतन 58600 रुपये पर 1800 रुपये की वेतनवृद्धि प्राप्त हुई है, जो उनकी सेवा पुस्तिका में भी अंकित है। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहन राशि पुरस्कार प्राप्ति के बाद अगली वेतनवृद्धि के बराबर प्रोत्साहन धनराशि दी जानी चाहिए। बताया कि उन्होंने बीएसए, वित्त लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा, जिलाधिकारी व अन्य जगह भी प्रार्थना पत्र दिए हैं लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप
मामले में 14 सितंबर को वित्त लेखाधिकारी ने बीएसए को पत्र लिखा कि शिक्षिका को वर्ष 2014 का राष्ट्रपति पुरस्कार 5 सितंबर 2015 को प्राप्त हुआ। उन्होंने बीएसए से शासनादेश को लेकर शासन से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए लिखा है। इसके बाद बीएसए ने 21 सितंबर को वित्त लेखाधिकारी को पत्र लिखा कि जिसमें उन्होंने शासनादेश का हवाला दिया है और उनके कार्यालय की कार्यशैली पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा किया है। उन्होंने अन्य शिक्षकों को भी लाभ प्रदान करने की जानकारी मांगी। 24 सितंबर को एक बार फिर से वित्त लेखाधिकारी ने बीएसए को पत्र लिखा है, जिसमें बीएसए के आदेश को भी भ्रम की स्थिति बता दिया है।
जो हमारे स्तर से हो सकता है, उतना हमने कर दिया है। इसके आगे के लिए हमने बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजा है। उनके यहां से जो निर्देश आएगा, उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा। -योगेश कुमार, वित्त एवं लेखाधिकारी
जिलाधिकारी के निर्देश के क्रम में शासनादेश के अनुसार वेतन वृद्धि की गई थी। अगर प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन वेतन वृद्वि से असंतुष्ट हैं तो दोबारा प्रत्यावेदन कर सकती हैं। -विनय कुमार, बीएसए
प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन की शिकायत के आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को मामले को निमयानुसार निस्तारित करने के निर्देश जारी किए थे। -नितीश कुमार, जिलाधिकारी
