देश से भी ज्यादा है उत्तराखंड की महंगाई दर
नरेन्द्र देव सिंह, अमृत विचार। उत्तराखंड की जनता महंगाई की मार से परेशान है। यहां मुद्रा स्फीति की दर राष्ट्रीय मुद्रा स्फीति से भी ज्यादा है। इस कारण देश के अन्य स्थानों की अपेक्षा उत्तराखंड में जरूरत का सामान ज्यादा महंगा मिलता है। जहां एक ओर राज्य की जनता कोविड की मार से परेशान है। …
नरेन्द्र देव सिंह, अमृत विचार। उत्तराखंड की जनता महंगाई की मार से परेशान है। यहां मुद्रा स्फीति की दर राष्ट्रीय मुद्रा स्फीति से भी ज्यादा है। इस कारण देश के अन्य स्थानों की अपेक्षा उत्तराखंड में जरूरत का सामान ज्यादा महंगा मिलता है।
जहां एक ओर राज्य की जनता कोविड की मार से परेशान है। वहीं, महंगाई ने यहां के लोगों की जेब ढीली कर रखी है। राज्य सरकार के अनुसार जून 2020 में जहां देश में मुद्रा स्फीति की दर 6.23 प्रतिशत थी तो वहीं उत्तराखंड में यह 8.67 प्रतिशत आंकी गई। दिसंबर 2020 तक लोगों को महंगाई से कुछ राहत मिली लेकिन तब भी उत्तराखंड में मुद्रा स्फीति की दर 5.46 प्रतिशत दर्ज की गई। जबकि उस समय राष्ट्रीय मुद्रा स्फीति की दर 4.59 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी राज्य होने की वजह से उत्तराखंड में माल भाड़ा ज्यादा लगता है।
साथ ही यहां खाने-पीने के सामान की ज्यादातर आपूर्ति दूसरे राज्यों से होती है। राज्य गठन के बाद भी पहाड़ों में कृषि बढ़ावा मिलने की जगह वहां पलायन की वजह से कृषि पर मार पड़ी। इस वजह से स्थानीय स्तर पर उपभोक्ता संबधित सामानों का कम उत्पादन होने की वजह से उत्तराखंड में मुद्रा स्फीति की दर राष्ट्रीय मुद्रा स्फीति की दर से ज्यादा दर्ज की जा रही है।
एक निश्चित अवधि में मूल्यों की उपलब्धता और मुद्रा के सापेक्ष वृद्धि मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाती है। मान लीजिए आज आप कोई सामान 100 रुपए का लेते हैं। यही सामान अगले साल आपको 110 में मिले और आपकी आमदनी तुलनात्मक रूप में नहीं बढ़े तो आप वह सामान खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे।
अखिल भारतीय एवं उत्तराखंड का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2020)
माह भारत उत्तराखंड
जनवरी 7.59 7.78
फरवरी 6.58 7.41
मार्च 5.84 6.91
अप्रैल – —————————-
मई – ———————————
जून 6.23 8.67
जुलाई 6.73 8.13
अगस्त 6.69 7.93
सितंबर 7.27 8.29
अक्टूबर 7.61 8.32
नवंबर 6.93 7.79
दिसंबर 4.59 5.46
(कोविड की वजह से मई और जून का आंकड़ा नहीं है। मुद्रा स्फीति की दर प्रतिशत में। आंकड़े राज्य सरकार के अनुसार)
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में उत्तराखंड के सभी स्थानों को शामिल किया जाता है। यहां पहाड़ में माला भाड़ा ज्यादा लगने की वजह से सामान महंगा मिलता है। साथ ही स्थानीय स्तर पर यहां उपभोक्ता संबधित वस्तुओं का उत्पादन कम होता है। इसलिए यहां मुद्रास्फीति की दर राष्ट्रीय मुद्रास्फीति की दर से ज्यादा होती है।-डा. पंकज कुमार, अर्थशास्त्री
